विरासत में मिली राजनीति से सत्ता के शिखर पर पहुंचे कॉनरैड संगमा

Last Updated 06 Mar 2018 04:49:16 PM IST

पिता से विरासत में मिली राजनीति की डगर पर आगे बढ़ते हुए 40 साल के कॉनरैड संगमा मेघालय की सत्ता के शिखर पर पहुंचे हैं. उन्होंने आज मेघालय के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की.


कॉनरैड संगमा: विरासत में मिली राजनीति

कॉनरैड को पहले राजनीति में रुचि नहीं थी. अमेरिका के वार्टन बिजनेस स्कूल से वित्त और प्रबंधन की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने उद्यमी के रूप में अपना जीवन शुरू किया लेकिन बाद में अपने दिवंगत पिता पूर्णो ए संगमा को सहयोग करने के लिए राजनीति में उतरे. राजनीति में उतरने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने के लिए उन्होंने लंबा सफर तय किया.

कॉनरैड के पिता पी ए संगमा गारो हिल्स के सुदूर क्षेत्र से राजनीति में आगे बढ़ते हुए लोकसभा के अध्यक्ष तक पहुंचे और एक बार राष्ट्रपति चुनाव में भी किस्मत आजमाई लेकिन पराजय का सामना करना पड़ा.

तीन मार्च को आए चुनाव परिणामों में कॉनरैड के राजनीतिक दल ने नेशनल पीपल्स फ्रंट (एनपीपी) 60 सदस्यीय विधानसभा में 19 सीटों पर जीत हासिल की और उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अन्य सहयोगी दलों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार चलाने की जिम्मेदारी मिली है.

संगमा परिवार के बड़े बेटे कॉनरैड ने स्नातक की पढ़ाई प्रतिष्ठित इम्पीरियल कॉलेज आफ लंदन से पूरी की. राजनीति में उतरने के बाद वह 2008 में पहली बार मेघालय विधानसभा के सदस्य बने और 2008-09 के दौरान राज्य मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे. वर्तमान में वह अपने पिता के संसदीय क्षेत्र तूरा से सांसद हैं.

पिछले पांच साल से उनकी पार्टी एनपीपी केन्द्र में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सहयोगी है. एनपीपी मणिपुर में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार में भी शरीक है. 2014 के बाद कॉनरैड ने अपने पिता के पदचिन्हों पर आगे बढ़ते हुए मेघालय में राजनीतिक पकड़ मजबूत की और राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस की मुख्य विपक्षी पार्टी बनने का श्रेय हासिल किया.

विदेश से पढ़ाई पूरी करने के बाद देश लौटे कॉनरैड ने राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार में कदम रखा और पूर्वोत्तर राज्य की पहली ऑनलाइन डिजिटल कंपनी स्थापित करने का श्रेय हासिल किया. वर्तमान में उनके कंधों पर मुख्यमंत्री के रूप में 34 विधायक वाली गठबंधन सरकार की जिम्मेदारी है. गठबंधन में उनकी पार्टी के 19 विधायकों के अलावा भाजपा के दो, यूडीपी के 6, एचएसपीडीपी के 2, पीडीएफ के चार विधायक है और एक निर्दलीय विधायक है.

विधानसभा चुनाव में 21 सीट जीतकर सबसे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरने के बावजूद वांछित बहुमत हासिल नहीं कर पाने के कारण कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा.

वार्ता


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