पूरी दिल्ली अनधिकृत : दिल्ली हाईकोर्ट

Last Updated 08 Nov 2017 05:35:36 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने पश्चिमी दिल्ली की कठपुतली कालोनी में चल रहे ध्वस्तीकरण के संबंध में एक अर्जी पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को कहा कि पूरी दिल्ली अनधिकृत है.


दिल्ली हाईकोर्ट

यह टिप्पणी कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने उस वक्त की, जब क्षेत्र के कुछ निवासियों का प्रतिनिधित्व कर रहे एक एनजीओ ने कहा, हाईकोर्ट के 31 अक्टूबर और 1 नवम्बर के आदेशों का उल्लंघन करते हुए झुग्गियों को ध्वस्त किया गया.

हाईकोर्ट ने अपने दोनों आदेशों में दिल्ली विकास प्राधिकरण को ऐसे व्यक्तियों की झुग्गियां नहीं गिराने का निर्देश दिया था जो भू-एजेंसी के नियमों के तहत पुनर्वास के योग्य नहीं हैं.

एनजीओ ने दावा किया था कि हाईकोर्ट के निर्देशों का डीडीए द्वारा सख्ती से अनुपालन नहीं किया गया. उसने पीठ के समक्ष यह भी आरोप लगाया कि उसके उस आदेश का भी डीडीए द्वारा अनुपालन नहीं किया गया जिसमें उसने एनजीओ के तीन सदस्यों को पुनर्वास के लिए अयोग्य लोगों की झुग्गियों की पहचान के लिए क्षेत्र का दौरा करने की इजाजत दी थी. तीन सदस्यीय समिति की एक महिला कार्यकर्ता ने अदालत में आरोप लगाया कि मौके पर कुछ  पुरुषों ने उसके साथ र्दुव्‍यवहार किया.

इस पर पीठ ने क्षेत्र के एसएचओ को तीन सदस्यीय समिति के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. अदालत ने इसके साथ ही अपने पहले के आदेश को दोहराया कि उसके दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन होना चाहिए. इसके साथ ही पीठ ने मामले को 16 नवम्बर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

अदालत ने  गत 31 अक्टूबर को स्थल पर ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी थी लेकिन अगले दिन अपने आदेश में संशोधन करते हुए डीडीए को ऐसी झुग्गियों को ढहाने की इजाजत दी थी जिसके निवासी पुनर्वास के लिए योग्य हैं और स्वेच्छा से कठपुतली कालोनी से यहां नरेला और आनंद पर्वत शिविरों में चले गए हैं.

भाषा


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