मंत्रिमंडल में फेरबदल पर शिवसेना का तंज, कहा- सरकार का तीन साल बाद भी प्रयोग जारी हैं

Last Updated 04 Sep 2017 03:24:18 PM IST

केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल की शिवसेना ने राजनितिक आवश्यकता के तौर पर बताते हुए सहयोगी पार्टी शिवसेना ने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार के तीन साल पूरे होने के बाद भी उसमें प्रयोग जारी हैं.


तीन साल बाद भी सरकार का प्रयोग जारी (फाइल फोटो)

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के एक संपादकीय में कहा कि लोग अब भी अच्छे दिन का इंतजार कर रहे हैं.
    
संपादकीय में मंत्रालयों के आवंटन को भाजपा का आंतरिक मामला बताते हुए कहा गया है, हम चुप नहीं रह सकते क्योंकि इसका संबंध राष्ट्र सुरक्षा और देश के विकास से है.
     
इसमें कहा गया, मोदी सरकार ने तीन साल पूरे कर लिए हैं लेकिन मंत्रालय में अब भी प्रयोग हो रहे हैं. भाजपा के 2014 के चुनावी नारे की याद दिलाते हुए इसमें कहा गया कि लोग अब भी  अच्छे दिन  के करिश्मे का इंतजार कर रहे हैं.
     
इसमें कहा गया कि मंत्रिपरिषद के फेरबदल में मोदी और (भाजपा अध्यक्ष) अमित शाह के चुने हुए लोगों को शामिल किया गया.
      
पार्टी का कहना है कि कुछ लोगों को हटाने के पीछे उनकी बढ़ती उम्र को कारण बताया गया है, लेकिन उनके युवा मंत्रियों ने भी कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया है.



उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली यह पार्टी महाराष्ट्र और केंद्र दोनों में ही भाजपा के साथ गठबंधन में है.
     
इस साल मुंबई विविद्यालय के परीक्षा परिणामों की घोषणा में हुई देरी का संदर्भ देते हुए संपादकीय में कहा गया, नोटबंदी पूरी तरह असफल हो गई. मंहगाई और बेरोजगारी बढ़ रही है. खाना, कपड़ा और मकान की मूल समस्याएं अब भी सामने हैं. मुंबई जैसे शहर में विविद्यालयों में अराजकता होने के कारण देर से आने वाले परिणामों को लेकर छात्रों के बीच उलझन है.
     
इसमें पूछा गया, बिहार, असम, ओडिशा, उत्तर प्रदेश जैसे राज्य बाढ़ से उजड़ गए हैं और सरकारी अस्पतालों में होने वाले मौतें रकने का नाम नहीं ले रहीं हैं. कौन से मंत्रालय ने कौन सी समस्या सुलझाई है?
     
संपादकीय में कहा गया कि सुरेश प्रभु को रेलवे मंत्रालय से भले ही हटा दिया गया हो, लेकिन इस विभाग में अब भी गड़बड़ियां हैं. गंगा सफाई अभियान पूरी तरह अव्यवस्था का शिकार रहा लेकिन उमा भारती पर कोई कार्वाई नहीं की गई.
     
शिवसेना ने कहा, मंत्रिमंडल में विस्तार भाजपा की राजनीतिक आवश्यकता थी और पार्टी ने बस वही किया.
 

 

भाषा


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