ब्रिक्स में आतंकवाद का मुद्दा उठा सकता है भारत
भारत ने शुक्रवार को संकेत दिया कि वह चीन के विरोध के बावजूद शियामेन में होने वाली नौवीं ब्रिक्स शिखर बैठक में पाकिस्तान की धरती से प्रायोजित होने वाले आतंकवाद के मुद्दे को उठा सकता है.
![]() (फाइल फोटो) |
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ब्रिक्स की बैठक के सिलसिले में मोदी की चीन यात्रा और म्यांमार की द्विपक्षीय यात्रा की जानकारी देने के लिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह संकेत दिया. सम्मेलन में पांच सदस्य देश -ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका भाग लेंगे.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने शुक्रवार को बीजिंग में ब्रिक्स शिखर बैठक में आतंकवाद के मुद्दे से जुड़े एक सवाल के जवाब में कहा है कि भारत को पाकिस्तान और आतंकवाद के मुद्दे को ब्रिक्स की बैठक में नहीं उठाना चाहिये.
इस बारे में एक सवाल के जवाब में कुमार ने कहा कि आतंकवाद को लेकर भारत के रुख से दुनिया भली भांति परिचित है. उन्होंने कहा कि ब्रिक्स शिखर बैठक में एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जायेगा जिसमें अनेक बातें सर्वसम्मति के आधार पर जोड़ी जा रहीं हैं. जहां तक शिखर नेताओं की बैठक में नेता कोई भी मुद्दा उठाने के लिये स्वतंत्र होते हैं और इस मौके पर भारतीय प्रधानमंत्री किन किन मुद्दों को उठाएंगे, यह बताना उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात है.
ब्रिक्स शिखर बैठक के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रधानमंत्री श्री मोदी से द्विपक्षीय बैठक के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि अभी द्विपक्षीय बैठक तय नहीं हुई है. इसके लिये प्रतीक्षा कीजिये.
इससे पहले चीनी प्रवक्ता ने कहा है कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरुद्ध प्रयासों में सबसे आगे है और उसने इसके लिए बलिदान दिया है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को पाकिस्तान द्वारा किए गए योगदान व बलिदान को मान्यता देनी चाहिए.
सुश्री हुआ ने कहा, हमने पाया है कि जब पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी होने की बात आती है तो भारत की कुछ चिंताएं हैं, मैं नहीं सोचती कि यह ऐसा मुद्दा है जिस पर ब्रिक्स में चर्चा की जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि चीन आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान एवं अन्य देशों के साथ काम करने का इच्छुक है. यह सभी पक्षों के साझा हितों को पूरा करता है.
| Tweet![]() |