तीन तलाक के संघर्ष में पांच महिलाएं, जिन्होंने यह कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की

Last Updated 22 Aug 2017 02:51:11 PM IST

उत्तराखंड की सायरा बानो, जयपुर की आफरीन रहमान और सहारनपुर की आतिया साबरी समेत पांच महिलाओं का तीन तलाक के खिलाफ संघर्ष में मुख्य योगदान रहा जिन्होंने बाहर निकल कानूनी लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की.


उत्तराखंड की सायरा बानो (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने आज ऐतिहासक निर्णय में तीन तलाक को 3-2 के बहुमत से असंवैधानिक करार दिया.  न्यायालय ने फिलहाल तीन तलाक पर छह माह की रोक लगाई है और केन्द्र सरकार से कानून बनाने को कहा है. सरकार यदि छह माह में कानून नहीं बना पाई तो रोक आगे भी जारी रहेगी.
        
उत्तराखंड की सायरा बानो ने पिछले साल शीर्ष न्यायालय में तीन तलाक और निकाह हलाला की संवैधानिकता के खिलाफ याचिका दायर की थी.  सायरा का निकाह 2001 में हुआ और उसके पति ने 10 अक्टूबर 2015 को उसे तलाक दे दिया. सायरा के दो बच्चे हैं और दोनों स्कूल पढ़ने जाते है. तलाक के बाद बच्चों की पढ़ाई और अपना जीवन निर्वाह करने में दिक्कतों का सामना कर रही सायरा ने अपने अभिभावकों की मदद से अधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन के जरिये तलाक के खिलाफ याचिका दायर की. याचिका में सायरा ने अपने समुदाय में प्रचलित बहुविवाह प्रथा को अनुचित बताते हुए इस बुराई को खत्म करने का आग्रह किया.

      
उत्तरप्रदेश के सहानपुर की आतिया साबरी ने जिस तरह से उसे तलाक दिया गया, उसके खिलाफ आवाज बुलंद की. दो बेटियों की मां साबरी का निकाह 2012 में हुआ था और उसके पति ने कोरे कागज पर  तीन तलाक लिखकर निकाह तोड़ दिया. उसका आरोप था कि दो बेटियां होने के कारण उसे तंग किया जाने लगा और दहेज के लिये प्रताड़ति भी किया जाता था.


      
इसी राज्य के रामपुर की गुलशन परवीन को तो उसके पति ने 10 रूपये के स्टांप पर तलाक लिखकर भेज दिया था. पश्चिम बंगाल के हावड़ा की रहने वाली इशरत जहां ने अपनी याचिका में कहा कि उसके पति ने तो दुबई से फोन कर तलाक दे दिया. राजस्थान की गुलाबी नगरी जयपुर की आफरीन रहमान के पति ने स्पीड पोस्ट के माध्यम से तलाकनामा भेज दिया था उसने पति और ससुराल पक्ष पर दहेज की मांग करने और मारपीट का आरोप लगाया था.
       
वैसे तीन तलाक के खिलाफ शाहबानो ने 1980 के दशक में आवाज बुलंद की थी. शाहबानो ने तलाक के उपरांत गुजारा भत्ता लेने के लिये शीर्ष न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. न्यायालय ने शाहबानो को गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया था.

 

वार्ता


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