ब्रह्मपुत्र, सतलुज के आंकड़े साझा नहीं किए चीन ने
डोकलाम विवाद के बीच सरकार ने शुक्रवार को कहा कि चीन ने उसके यहां से प्रवाहित होकर भारत आने वाली नदियों की जलराशि के आंकड़ें इस साल साझा नहीं किए हैं.
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां नियमित ब्रीफिंग में इस बारे में एक सवाल के जवाब में कहा कि भारत एवं चीन के बीच कायम व्यवस्था के तहत विशेषज्ञ समूहों की साझा बैठक जून 2016 में हुई थी. वर्ष 2013 और 2016 में हस्ताक्षरित सहमति पत्रों के अनुसार चीन हर साल 15 मई से 15 अक्टूबर के बीच ब्रह्मपुत्र और सतलुज नदियों के जलप्रवाह का डाटा नियमित रूप से देता है.
कुमार ने कहा, इस साल चीन की ओर से हमारे पास कोई डाटा नहीं आया है. उन्होंने इसके कारणों के बारे में अनभिज्ञता जाहिर करते हुए हालांकि यह भी कहा कि इस बात को डोकलाम विवाद से जोड़कर देखना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि कई बार तकनीकी कारण से भी ऐसा संभव नहीं हो पाता है. उनसे सवाल किया गया था कि पूर्वोत्तर में बाढ़ के कारण भारी तबाही हो रही है. ऐसे में क्या चीन भारत को नदीजल प्रवाह से जुड़ा डाटा नियमित रूप से दे रहा है.
गौरतलब है कि डोकलाम विवाद जून 16 से भड़का लेकिन उससे एक माह पहले से ही 15 मई से साझा होने वाले नदी जल डाटा को चीन द्वारा नहीं दिए जाने के पीछे उसकी कूटनीतिक मंशा को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं.
लद्दाख में पैगांग झील के पास 15 अगस्त को हुई घटना की पुष्टि करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि ऐसी घटनाएं दोनों देशों के हित में नहीं हैं. चीन में भारत के विरुद्ध आए एक वीडियो ‘सेवेन सिन्स ऑफ इंडिया’ तथा वहां भारत के विरुद्ध की जा रही छींटाकशी के बारे में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह ऐसे किसी वीडियो पर टिप्पणी करके उसे कोई अहमियत नहीं देना चाहते हैं. यह पूछे जाने पर कि डोकलाम विवाद को लेकर भारत और चीन के बीच बातचीत का क्या नतीजा रहा है और किन देशों ने भारत का पक्ष लिया है.
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है और यह बात वह मीडिया के साथ साझा नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि डोकलाम के मुद्दे पर हमने पहले भी कहा है कि हम चीन के साथ आपसी सहमति से इसका समाधान खोजने का प्रयास करेंगे. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में जापान के राजदूत ने एक बयान में डोकलाम विवाद में भारत के पक्ष का समर्थन किया है.
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