लाल किले पर कौन तोड़ेगा नेहरू का रिकार्ड

Last Updated 14 Aug 2017 05:37:40 PM IST

राष्ट्रीय राजनीति में श्री नरेंद्र मोदी के पदार्पण के बाद कांग्रेस भले ही सिमटती जा रही हो लेकिन स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का उससे जुड़े प्रधानमत्रिंयो जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी का रिकार्ड अगले कई वर्षों तक टूटना मुश्किल है.


(फाइल फोटो)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को चौथी बार लालकिले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहरायेंगे. लालकिले पर सबसे अधिक 17 बार झंडा फहराने का रिकार्ड देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम है. उन्होंने पहले स्वतंत्रता दिवस से लेकर 1963 तक लगातार 17 वर्ष लाल किले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया. उनके बाद सबसे अधिक 16 बार तिरंगा फहराने का मौका पंडित नेहरु की पुत्री इंदिरा गांधी को मिला. उन्होंने 1966 से लेकर 1976 तक 11 बार तथा 1980 से लेकर 1984 तक पांच बार लालकिले पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया. नेहरु गांधी परिवार के एक अन्य सदस्य राजीव गांधी को पांच बार यह सम्मान मिला.
         
नेहरु, इंदिरा के बाद सबसे अधिक 10 बार राष्ट्रीय ध्वज फहराने का मौका डॉ मनमोहन सिंह को मिला. उन्होंने 2004 से लेकर 2013 तक लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराया. अगर कांग्रेस की बात की जाये तो उसके प्रधानमत्रिंयो ने 70 वर्ष के इतिहास में 55 बार लालकिले पर तिरंगा फहराया और राष्ट्र को संबोधित किया. इसमें से 38 बार यह गौरव नेहरु गांधी परिवार के सदस्यों को मिला. कांग्रेस नेता पी वी नरसिंह राव ने पांच बार तथा पंडित नेहरु की मृत्यु के बाद देश की बागडोर संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने दो बार लालकिले के प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया.


      
लाल किले के प्राचीर पर तिरंगा फहराने वाले गैर कांग्रेसी प्रधानमत्रिंयो में श्री अटल बिहारी वाजपेयी सबसे आगे हैं. उन्होंने छह बार राष्ट्रीय ध्वज फहराया. इसके बाद श्री मोदी हैं जो अब तक तीन बार तिरंगा फहरा चुके हैं. आपातकाल के बाद 1977 में देश में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार का नेतृत्व करने वाले श्री मोरार जी देसाई को दो बार लालकिले की प्राचीर पर झंडा फहराने का मौका मिला. चार प्रधानमत्रिंयो चौधरी चरण सिंह एवं सर्वश्री विश्वनाथ प्रताप सिंह, एच डी देवेगौड़ा और इंद्र कुमार गुजराल को एक-एक बार यह सम्मान मिला.
      
श्री चंद्रशेखर एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्हें लाल किले की प्राचीर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने और राष्ट्र को संबोधित करने का अवसर नहीं मिला. पंडित नेहरु और श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु होने के समय दो बार कुछ कुछ समय के लिये प्रधानमंत्री का पद संभालने वाले श्री गुलजारी लाल नंदा को भी यह राष्ट्रीय अवसर नहीं मिला.

भाषा


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment