तेलंगाना बिल के राज्यसभा में पेश होने पर संशय

Last Updated 11 Feb 2014 10:36:33 AM IST

तेलंगाना बिल को मंगलवार को राज्यसभा में पेश किए जाने पर संशय बरकरार है. हालांकि इस बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली चुकी है.


राज्यसभा

इस बिल पर सोमवार को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बावजूद सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश करने से पहले कानून मंत्रालय की राय मांगी है. इस विधेयक की प्रकृति को लेकर यूपीए में मतभेद है. इसलिए सरकार ने इसे राज्यसभा में पेश करने से पहले इस पर कनून मंत्रालय से राय मांगी है.

राज्यसभा सचिवालय ने कानून मंत्रालय की राय मांगा है कि तेलंगाना विधेयक धन विधेयक है या नहीं.

कानून मंत्रालय अगर ये विचार आगे रखता है कि ये धन विधेयक है तो तेलंगाना विधेयक को पहले लोकसभा में पेश किया जाएगा. आंध्र प्रदेश के विभाजन से संबंधित इस विधेयक को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद मंगलवार को यानि आज राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना थी.

हालांकि सरकारी सूत्रों के हवाले से ये भी खबर है कि अगर आज कानून मंत्रालय अपना विचार देता हे कि ये धन विधेयक नहीं है तो इसे मंगलवार को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है.

राज्यसभा कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित

अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक सोमवार को एक बार के स्थगन के बाद दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित.

बैठक 11 बज कर 11 मिनट पर जब दोबारा शुरू हुई तो सदन में वही नजारा था. इस बार तेदेपा, अन्नाद्रमुक के साथ साथ द्रमुक के सदस्य भी आसन के समक्ष आ गए और नारेबाजी करने लगे.

सभापति ने अगप के वैश्य से अपनी बात रखने को कहा. वैश्य ने बोलना शुरू किया लेकिन हंगामे के कारण उनकी बात सुनी नहीं जा सकी.

एक बार फिर मैत्रेयन ने कागज फाड़ा और उसके टुकड़े हवा में उछाल दिये. मैत्रेयन आसन की मेज की ओर बार बार हाथ बढ़ा रहे थे और वहां खड़े मार्शल उन्हें ऐसा करने से रोकते रहे.

सभापति ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और शांत रहने की अपील की. व्यवस्था नहीं बनने पर उन्होंने 11 बज कर करीब 13 मिनट पर बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

दो बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे सदन की बैठक शुरू होने पर भी वही नजारा दिखा और विभिन्न दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर अलग अलग मुद्दों पर हंगामा करने लगे.

अन्नाद्रमुक के मैत्रेयन आसन के समक्ष ही कागज फाडकर हवा में उछालते दिखे. मैत्रेयन राज्यसभा बुलेटिन में हंगामा कर रहे सदस्यों के नामों का उल्लेख  लिए जाने का विरोध कर रहे थे.

उल्लेखनीय है कि शुक्र वार को सभापति हामिद अंसारी ने हंगामा कर रहे सदस्यों को आगाह किया था कि अब से यह (हंगामे और आसन के समक्ष आ कर नारेबाजी) सदन की कार्यवाही में प्रतिबिम्बित होगा.

हंगामे को देखते हुए उपसभापति पी जे कुरियन ने 11 बजकर दो मिनट पर बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी.

इसके बाद भी बैठक शुरू होने पर वही नजारा दिखा. कुरियन ने हंगामे के बीच ही आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. कुरियन ने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा, ‘‘ आप जो कर रहे हैं, वह बहुत चिंताजनक है. आपकी इन बातों (हंगामे) को कार्यवाही में शामिल किया जाना गलत नहीं है.’’

उन्होंने मैत्रेयन का नाम लेते हुए कहा कि वह जो कर रहे हैं, वह उन्हें नहीं करना चाहिए. ऐसा करना सदन के नियमों के विरूद्ध है.

अपनी इस बात का कोई असर नहीं होता देख उन्होंने बैठक दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

दोपहर दो बजे बैठक शुरू होने पर भी वही नजारा दिखा और विभिन्न दलों के सदस्य आसन के समक्ष आकर हंगामा करने लगे. कुछ सदस्य एकीकृत आंध्र प्रदेश के समर्थन में पोस्टर लिए हुए थे. मैत्रेयन और द्रमुक सदस्य सेल्वागणपति एक बार फिर कुछ कागज फाडकर हवा में उछालते दिखे.

कुरियन ने हंगामे के बीच ही मंत्रियों के वक्तव्य सदन के पटल पर रखवाए और मानव रोगक्षम अल्पता विषाणु और अर्जित रोगक्षम अल्पता संलक्षण (निवारण और नियंत्रण) विधेयक, 2014 पेश करने को कहा.

कार्यसूची के अनुसार यह विधेयक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद को पेश करना था. लेकिन वह सदन में मौजूद नहीं थे. उनके स्थान पर संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव शुक्ला जब यह विधेयक पेश करने का उठे, आसन के समक्ष हंगामा और बढ़ गया तथा मैत्रेयन आसन की मेज की ओर हाथ बढ़ाते दिखे. लेकिन राज्यसभा सचिवालय कर्मियों ने उन्हें रोकने का प्रयास किया.

इस हंगामे के दौरान ही कुरियन ने कहा, ‘‘यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है.. काफी दुर्भाग्यपूर्ण है कि संसद सदस्य इस तरह का आचरण कर रहे हैं...’’ लेकिन उनकी इस टिप्पणी का भी हंगामा कर रहे सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ और कुरियन ने बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.
 
 



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