मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा पृथकवास

Last Updated 01 May 2021 09:18:21 AM IST

चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि परिवार के सदस्यों या प्रियजन के बिना पृथक रहकर कोविड-19 संक्रमण का इलाज कराने से मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अकेलेपन से मरीज बीमारी से जंग जीतने की उम्मीद खो सकते हैं।


मरीजों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रहा पृथकवास

विशेषज्ञों के अनुसार परिवार के सदस्यों की मौजूदगी और उनके साथ नियमित बातचीत कोरोना वायरस इलाज का अहम हिस्सा होना चाहिए क्योंकि इसका मरीजों पर चिकित्सीय असर पड़ता है।

वर्धा में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एमजीआईएमएस) के डा. इंद्रजीत खांडेकर ने कहा, ‘परिवार के करीबी सदस्यों को कोविड-19 मरीजों के साथ न रहने देना या उनसे मिलने न देना क्रूर तथा अमानवीय है क्योंकि इससे संक्रमित लोगों की स्वस्थ होने की उम्मीद खो जाती है और उन्हें लगता है कि वे अकेले ही संघर्ष कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा कि जो रिश्तेदार कोरोना वायरस से संक्रमित अपने प्रियजनों के साथ रहना चाहते हैं उन्हें मास्क पहनते हुए ऐसा करने की अनुमति देनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘करीबी रिश्तेदारों की मौजूदगी और मरीजों के परिवार का डाक्टरों तथा नसरें से नियमित संवाद इलाज का अहम हिस्सा होना चाहिए।’

डा. खांडेकर ने कहा कि प्रियजन के साथ बातचीत करना मरीजों के लिए कारगर हो सकता है और इससे सबसे मुश्किल हालात में भी उनमें जिंदा रहने की इच्छा हो सकती है। उन्होंने कहा कि जो मरीज खाने-पीने और शौचालय तक जाने में असमर्थ होते हैं, उन्हें लगातार मदद तथा नैतिक सहयोग की जरूरत होती है जो परिवार का सदस्य ही दे सकता है।

उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों के लिए हर मरीज की निजी तौर पर देखभाल करना तथा चौबीसों घंटे उन्हें मदद मुहैया कराना संभव नहीं है।  
 

भाषा
नागपुर


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