कोरोना ने बदली त्योहारों की रंगत, गरबे भी होंगे अब ऑनलाइन
कोविड़–19 के चलते नवदुर्गोत्सव के दौरान ऑनलाइन गरबा कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही है जिनमें प्रतिभागी अपने घरों से ही शामिल हो सकेंगे।
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लेकिन आयोजक सोशल मीडि़या और सूचना तकनीक की मदद से महामारी की मुश्किलों का तोड़़ निकालने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी कड़़ी में मध्य प्रदेश के उत्सवधर्मी शहर इंदौर में आगामी नवदुर्गोत्सव के दौरान ऑनलाइन गरबा कार्यक्रमों की तैयारी की जा रही है जिनमें प्रतिभागी अपने घरों से ही शामिल हो सकेंगे।
जिलाधिकारी मनीष सिंह ने सरकारी दिशा–निर्देशों के हवाले से रविवार को बताया कि कोविड़–19 की रोकथाम के लिए इस बार नवदुर्गोत्सव में पारंपरिक तरीके से गरबा कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति नहीं दी गयी है। इस बीच‚ सरकारी दिशा–निर्देशों के मद्देनजर कुछ स्थानीय आयोजक ऑनलाइन गरबों की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए सोशल मीडि़या के माध्यम से प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
गरबा प्रशिक्षक आरती माहेश्वरी ने बताया‚ ‘कोविड़–19 के संकट के चलते इन दिनों भीड़़ जुटाना उचित नहीं है। लिहाजा हम सोशल मीडि़या पर सीधे (लाइव) प्रसारण के माध्यम से प्रतिभागियों को गरबों की नृत्य मुद्राएं सिखा रहे हैं।'
उन्होंने बताया कि नवदुर्गोत्सव के दौरान इन प्रतिभागियों को एक वीडि़यो कॉन्फ्रेंस ऐप के जरिये जोड़़ा जाएगा और वे ऑनलाइन निर्देशों का पालन करते हुए तय समय पर अपने घरों में गरबा कर सकेंगे। इस दौरान गीत–संगीत का सजीव प्रसारण किया जाएगा और प्रतिभागी पारंपरिक गरबा परिधानों में नजर आएंगे।
माहेश्वरी ने कहा‚ ‘इस बार गरबा कार्यक्रम भले ही ऑनलाइन होंगे। लेकिन हमें प्रतिभागियों के त्योहारी उल्लास में कोई कमी नहीं दिखाई दे रही है।' बहरहाल‚ आयोजकों का एक तबका ऐसा भी है जो ऑनलाइन गरबों के नये रुझान को धार्मिक परम्पराओं के लिहाज से सही नहीं मानता। शहर के साकेत क्षेत्र में हर साल गरबा कार्यक्रम करने वाले नीरज याग्निक ने कहा कि सरकारी मनाही के कारण इस बार यह पारंपरिक आयोजन नहीं होगा और वह ऑनलाइन गरबों के पक्ष में कतई नहीं हैं।
उन्होंने कहा‚ ‘गरबा एक धार्मिक आयोजन है जो श्रद्धालुओं द्वारा दुर्गा देवी की विधि–विधान से स्थापित प्रतिमा के सामने किया जाता है। गरबे इसी पारंपरिक स्वरूप में किए जाने चाहिए।'
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