श्रीलंका : सुप्रीम कोर्ट ने 22वें संविधान संशोधन को दी मंजूरी
श्रीलंका की सर्वोच्च अदालत ने व्यवस्था दी है कि संविधान में 22वें संशोधन के प्रावधान वाले विधेयक को संसद में दो-तिहाई बहुमत के साथ अपनाया जा सकता है और विधेयक के कुछ खंडों पर देशव्यापी जनमत संग्रह की आवश्यकता है।
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संसद के अध्यक्ष ने मंगलवार को यह घोषणा की।
22वे संविधान संशोधन संबंधी मसौदे विधेयक को देश के मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी और पिछले महीने उसे अधिसूचित किया गया था। 22वें संशोधन का मूल नाम 21ए था और इसका मकसद 20ए को हटाना था जिसके तहत पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को व्यापक अधिकार मिले थे।
22वें संशोधन का मकसद संसद को अधिक अधिकार प्रदान करना है। यह संशोधन विधेयक देश में चल रही आर्थिक उथल-पुथल के बीच तैयार किया गया था। संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धने ने कहा कि संविधान के 22वें संशोधन को संसद में दो-तिहाई बहुमत तथा विधेयक के खंड 2 और 3 को राष्ट्रव्यापी जनमत संग्रह के बाद ही अपनाया जा सकता है।
सर्वोच्च अदालत ने कुछ बदलाव की सिफारिश की ताकि संसद विशेष बहुमत के साथ विधेयक को पारित कर सके। इस विधेयक का मकस स्वतंत्र आयोगों को बहाल करना और राष्ट्रपति की कुछ शक्तियों पर अंकुश लगाना है।
विभिन्न पक्षों को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करने के लिए समय दिया गया था और ऐसी 10 याचिकाएं दायर की गई थीं। संसद को सर्वोच्च अदालत का फैसला मंगलवार को मिला। विदेश मंत्री अली साबरी ने सोमवार को कहा था कि 22ए विधेयक को मंजूरी के लिए बहुत जल्द संसद में पेश किया जाएगा।
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