‘बोलने की आजादी’ का इस्तेमाल करने पर दो भिक्षुओं को जेल

Last Updated 30 Aug 2022 10:04:10 AM IST

तिब्बत में दो भिक्षुओं तेनजिन धारगे और रिग्त्से को बोलने की आजादी के अधिकार का प्रयोग करने पर जेल की सजा दी गई।


‘बोलने की आजादी’ का इस्तेमाल करने पर दो भिक्षुओं को जेल

तिब्बती मानवाधिकार और लोकतंत्र केंद्र (टीसीएचआरडी) ने सोमवार को इसकी निंदा की।

गौरतलब है कि चीनी संविधान के साथ-साथ प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार मामलों में बीजिंग सरकार पक्षकार है। धारगे और रिग्त्से तिब्बती स्वायत्त प्रांत के सेरशुल काउंटी के रहने वाले हैं। दोनों को लगभग दो साल तक इनकंपनीडो में हिरासत में रखा गया था और इस साल जून में सजा सुनाई गई थी।

सरशुल काउंटी पीपुल्स कोर्ट ने धारगे को तीन साल और छह महीने की सजा सुनाई, जबकि रिग्त्से को तीन साल जेल की सजा सुनाई गई। टीसीएचआरडी ने कहा कि अब तक चीनी अधिकारियों ने दोनों मामलों में अत्यधिक गोपनीयता बरती और परिवार के सदस्यों को मामलों का विवरण उपलब्ध नहीं कराया गया है।

चीनी अधिकारियों ने कड़ी चेतावनी जारी की है कि जो कोई भी भिक्षुओं की नजरबंदी के बारे में जानकारी साझा करते हुए पकड़ा जाएगा, उसकी सामाजिक सुरक्षा और अन्य राज्य लाभ रद्द कर दिए जाएंगे। भिक्षुओं को सेरशुल काउंटी में सजा के बाद दूसरे स्थान पर ले जाया गया।

निर्वासित तिब्बती सूत्रों ने सितंबर 2020 में धारगे को हिरासत में लिए जाने की सूचना दी, जब उन्हें दलाई लामा की एक तस्वीर और तिब्बती राजनीतिक स्थिति के बारे में अन्य जानकारी फोन पर रखते हुए पाया गया था।

उस समय उनके साथ एक अन्य साधु को भी हिरासत में लिया गया था, लेकिन उनकी पहचान की पुष्टि नहीं हो सकी थी। अब यह सामने आया है कि दूसरे साधु का नाम रिग्त्से है।

धारगे और रिग्त्से दोनों को एक ही तारीख को सजा सुनाई गई थी। मौजूदा प्रतिबंधों के कारण रिग्त्से के बारे में अधिक जानकारी नहीं है।

आईएएनएस
धर्मशाला


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