श्रीलंका : 21वां संशोधन पेश करेंगे पीएम विक्रमसिंघे

Last Updated 20 May 2022 03:39:19 AM IST

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने अटॉर्नी जनरल और शीर्ष सांसदों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद अगले सप्ताह मंत्रिमंडल के समक्ष संविधान में महत्वपूर्ण 21वां संशोधन पेश करने की योजना बनाई है। मीडिया में आई एक खबर में यह जानकारी दी गई।




कोलंबो : सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान बृहस्पतिवार को पुलिस द्वारा फेके गए आंसू गैस के गोलों को वापस फेंकते इंटर यूनिवर्सिटी स्टुडेंट्स फेडरेशन के सदस्य।

संविधान के 21वें संशोधन से 20ए रद्द होने की संभावना है, जो 19वें संशोधन के निरस्त होने के बाद राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को असीमित शक्तियां देता है। 19वें संशोधन में संसद को राष्ट्रपति से अधिक शक्तियां दी गई थीं। ऑनलाइन समाचार पोर्टल डेली मिरर की खबर के अनुसार, सांसद विजयदास राजपक्षे और सुशील प्रेमजयंता 21वें संशोधन की धाराओं की जांच करेंगे और अगले सप्ताह मंत्रिमंडल में पेश करने से पहले 19वें संशोधन के एक अद्यतन संस्करण को अंतिम रूप देंगे।

डेली मिरर के मुताबिक, इस बीच विक्रमसिंघे ने श्रीलंका फ्रीडम पार्टी और श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना के सदस्यों के अलावा मुख्य विपक्षी दल समागी जन बलवेगया (एसजेबी) के कुछ सांसदों के साथ बंद कमरे में बैठक की। एसजेबी ने सोमवार को कहा था कि वह देश को मौजूदा आर्थिक और राजनीतिक संकट से बचाने के लिए विक्रमसिंघे के नेतृत्व वाली अंतरिम सर्वदलीय सरकार को सशर्त समर्थन की पेशकश करेगी।

यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) के नेता विक्रमसिंघे को बृहस्पतिवार को देश का 26वां प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। इससे पहले अपने समर्थकों द्वारा सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले के बाद भड़की हिंसा के मद्देनजर प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और तभी से देश में कोई सरकार नहीं थी। महिंदा राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के बड़े भाई हैं।

शक्तिशाली राजपक्षे परिवार ने अगस्त 2020 में आम चुनावों में भारी जीत के बाद सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली थी। उन्होंने राष्ट्रपति की शक्तियों को बहाल करने तथा अहम पदों पर परिवार के करीबी सदस्यों को नियुक्त करने के लिए संविधान में संशोधन किया था।

देखते ही गोली मारने का आदेश नहीं दिया गया था

श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने बृहस्पतिवार को संसद को बताया कि सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों को देखते ही गोली मारने का कोई आदेश रक्षा मंत्रालय को नहीं दिया गया था।

श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने देश में चल रहे आर्थिक और राजनीतिक संकट को लेकर हिंसक विरोध के बीच थलसेना, वायुसेना और नौसेना के कर्मियों को सार्वजनिक संपत्ति लूटने या दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति पर गोली चलाने का 10 मई को आदेश दिया।

यह आदेश तब दिया गया, जब भीड़ ने राजपक्षे परिवार और उनके करीबी लोगों की संपत्ति पर हमला किया। पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के करीबी लोगों की संपत्ति पर हमला उनके समर्थकों द्वारा कोलंबो में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला करने के बाद किया गया। कोलंबो ‘गजट न्यूज पोर्टल‘ के मुताबिक विक्रमसिंघे ने कहा कि लिखित में ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया।

 

भाषा
कोलंबो


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