रूसी सेना का फोकस अब कीव नहीं, डोनबास
रूसी बल यूक्रेन में जारी युद्ध में अब अपना ध्यान राजधानी कीव से हटाते हुए प्रतीत हो रहे हैं और इसके बजाय उनका ध्यान यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में स्थित डोनबास औद्योगिक क्षेत्र को मुक्त कराने पर है। अधिकारियों ने कहा कि यह युद्ध के नए चरण की शुरुआत हो सकती है।
![]() यूक्रेन के खारकीव में रूसी बमबारी के बाद लगी आग से उठता धुआं और तबाह हुई एक कार। |
उन्होंने कहा कि हालांकि अभी यह कहना जल्दबाजी होगा कि इसके क्या परिणाम होंगे। देश के कई हिस्सों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सेना को काफी दबाव का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका और अन्य देश यूक्रेन को हथियार और साजो-सामान की आपूर्ति बढ़ा रहे हैं। हाल में अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि उन्हें कुछ क्षेत्रों में सीमित रूप से ही सही, यूक्रेनी सैनिकों के आक्रामक होने के सबूत मिले हैं। रूसी सेना के उपप्रमुख कर्नल जनरल सग्रेई रुड्सकोई ने कहा था कि रूसी बलों ने पहले चरण के ‘मुख्य उद्देश्यों’ को मोटे तौर पर हासिल कर लिया है। रूस ने पहले चरण को यूक्रेन में ‘विशेष सैन्य अभियान’ करार दिया था। रुड्सकोई ने कहा था कि रूसी बलों ने यूक्रेन की लड़ाकू सैन्य क्षमता को ‘अपेक्षाकृत कमजोर’ कर दिया है और अब वे अपने मुख्य लक्ष्य यानी डोनबास की आजादी को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
अमेरिका के एक रक्षा अधिकारी ने कहा है कि एक महीने से जारी युद्ध में रूसी सेना देश के अधिकांश हिस्सों में कमजोर पड़ी है। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में रूसी बलों ने कीव को लेकर बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है, हालांकि वे राजधानी पर हवाई हमले जारी रखे हुए हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘कम से कम इस समय वे कीव को ध्यान में रखते हुए आगे नहीं बढ़ाना चाहते। वे डोनबास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।’’
पुतिन 24 फरवरी को आक्रमण की शुरुआत से स्पष्ट रूप से यह नहीं बता रहे हैं कि यूक्रेन को लेकर उनके क्या इरादे हैं। उन्होंने कहा था कि इसका उद्देश्य यूक्रेन सरकार को सेना से अलग करना और उसके प्रभाव को कम करना है। साथ ही उन्होंने कहा था कि वह डोनबास को ‘मुक्त’ कराना चाहते हैं, जिसका एक हिस्सा 2014 से रूसी समर्थित अलगाववादी नियंत्रण में है।
पुतिन ने यूक्रेन की सीमाओं पर 150,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया था। पहले सैनिकों का लक्ष्य कीव या डोनबास पर ध्यान केंद्रित करना था, लेकिन बाद में कई उन्हें कई और उद्देश्यों को हासिल करने में लगा दिया गया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ब्रसेल्स में कहा कि यह कहना जल्दबाजी होगा कि रूसियों ने अपना दृष्टिकोण बदल दिया है।
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