पाकिस्तान के एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची से निकलने की उम्मीद नहीं : रिपोर्ट

Last Updated 21 Oct 2020 04:04:50 PM IST

पाकिस्तान, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एपएटीएफ) की ‘ग्रे’ सूची में संभवत: बना रहेगा क्योंकि वह एपएटीएफ की कार्य योजना के 27 लक्ष्यों में से छह का अनुपालन करने में असफल रहा है। यह दावा बुधवार को मीडिया में प्रकाशित खबरों में किया गया।


पाकिस्तान के एफएटीएफ की ‘ग्रे’ सूची

उल्लेखनीय है कि आतंकवाद के वित्तपोषण और धन शोधन को रोकने एवं निगरानी करने वाली पेरिस से संचालित संस्था की 21 से 23 अक्टूबर के बीच डिजिटल माध्यम से वाषिर्क बैठक होगी जिसमें 27बिंदुओं की कार्य योजना की समीक्षा की जाएगी।       

एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे’ सूची में डाला था और इस्लामाबाद को धन शोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकने की 27 बिंदुओं की कार्य योजना को वर्ष 2019 के अंत तक लागू करने को कहा था। कोविड महामारी की वजह से इस मियाद में वृद्धि कर दी गई।       

राजनयिक सूत्रों के हवाले से पाकिस्तानी अखबार ‘दि एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने लिखा, ‘‘देश अगले साल जून तक एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर निकलने में सफल होगा।’’       
खबर के मुताबिक पाकिस्तान संभवत: एफएटीएफ की ग्रे सूची से नहीं निकल पाएगा लेकिन वह काली सूची में जाने से बच गया है।       

मीडिया के मुताबिक पाकिस्तान कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर चुका है और उसने निगरानीकर्ता को सूचित किया है कि कार्य योजना के 21बिंदुओं को उसने लागू कर दिया है।       

अखबार के मुताबिक पाकिस्तान ने कार्य योजना के शेष बचे छहं बिंदुओं पर भी 20 प्रतिशत प्रगति करने का दावा किया है।       

गौरतलब है कि कर्ज से दबे पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत अगस्त महीने में 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके नेताओं पर वित्तीय पाबंदी लगाई थी। इनमें मुंबई हमले का सरगना और जमात-उद दावा प्रमुख हाफिज सईद, जैश-ए-मुहम्मद प्रमुख मसूद अजहर और अंडर्वल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम भी शामिल है।     

अगर पाकिस्तान ग्रे सूची में बना रहता है तो उसके लिए वि मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ जैसे अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से वित्तीय मदद हासिल करना और मुश्किल हो जाएगा। इससे पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे देश की मुश्किलें और बढेंगी।       

पाकिस्तान ने एफएटीएफ की ग्रे सूची से निकलने की कोशिश के तहत करीब 15 कानूनों में संशोधन को मंजूरी दी है।     

पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए 39 सदस्यीय एफएटीएफ में से 12 सदस्यों का समर्थन हासिल करना होगा। वहीं, काली सूची में जाने से बचने के लिए तीन सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी। पाकिस्तान का चीन, तुर्की और मलेशिया लगातार समर्थन करते रहे हैं।       

एफएटीएफ की बैठक में अगर यह पाया जाता है कि पाकिस्तान लक्ष्यों को पूरा करने में असफल हुआ है तो पूरी संभावना है कि विश्व निकाय उसे उत्तर कोरिया और ईरान के साथ काली सूची में डाल दे।       

अगस्त महीने में प्रधानमंत्री इमरान खान ने चेतावनी दी थी कि अगर एफएटीएफ देश को काली सूची में डालता है तो पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था महंगाई और पाकिस्तानी मुद्रा के अवमूल्यन की वजह से बर्बाद हो जाएगी।


भाषा
इस्लामाबाद


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment