भारत-पाक के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है कश्मीर, अमेरिका वार्ता का स्वागत करता है: विदेश मंत्रालय

Last Updated 23 Jul 2019 10:01:50 AM IST

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने कश्मीर में मध्यस्थता के संबंध में की गई ट्रंप की टिप्पणी के बाद उपजे विवाद को शांत करने का प्रयास शुरू कर दिया है।




विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक ‘‘द्विपक्षीय’’ मुद्दा है और अमेरिका दोनों देश के बीच वार्ता का स्वागत करता है। साथ ही मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद के खिलाफ ‘‘निरंतर एवं स्थिर’’ कार्रवाई करना भारत के साथ उसकी सफल बातचीत के लिए अहम है।     

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता से यह सवाल करने पर कि ट्रंप की टिप्पणी कश्मीर पर देश की नीति में बदलाव को दर्शाती है, उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर दोनों पक्षों के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है, ट्रंप प्रशासन इसका स्वागत करता है कि दोनों देश बैठ कर बात करें और अमेरिका सहयोग के लिए हमेशा तैयार है।’’भारत पहले ही ट्रंप के दावे को खारिज कर चुका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर उनकी मध्यस्थता चाही थी।     

एक दशक से भी ज्यादा वक्त से अमेरिका निरंतर इस बात पर जोर देता रहा है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय मुद्दा है और यह दोनों देश पर है कि वह वार्ता की प्रकृति और संभावना पर फैसला लें।     

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि पाकिस्तान अपनी सीमा में चरमपंथियों एवं आंतकवादियों के खिलाफ निरंतर एवं स्थिर कार्रवाई करे। ये कदम प्रधानमंत्री (इमरान) खान की प्रतिबद्धताओं और पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी के अनुरूप हैं।’’     

प्रवक्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम तनाव को कम करने और वार्ता के लिए अनुकूल माहौल बनाने के प्रयासों को समर्थन देते रहेंगे। पहला एवं सबसे जरूरी कदम है आतंकवाद के खतरे से निपटना। जैसा कि राष्ट्रपति ने संकेत दिया है, हम सहयोग के लिए हमेशा तैयार हैं।’’     

सोमवार को ट्रंप ने यह कह कर भारत को चौंका दिया था कि प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के ओसाका में जी-20 सम्मेलन के दौरान कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए उनकी मदद मांगी थी।     

ट्रंप ने कहा, ‘‘मैं दो सप्ताह पहले प्रधानमंत्री मोदी के साथ था और हमने इस विषय (कश्मीर) पर बात की थी। और उन्होंने वास्तव में कहा, ‘क्या आप मध्यस्थता करना या मध्यस्थ बनना चाहेंगे?‘ मैंने कहा, ‘कहाँ?‘ (मोदी ने कहा) ‘कश्मीर।’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि यह कई वर्ष से चल रहा है। मुझे आश्चर्य है कि यह कितने लंबे समय से चल रहा है।’’  उनके इस कथन पर खान ने कहा कि यह 70 साल से चल रहा है।     

ट्रंप ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वे (भारतीय) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। मुझे लगता है कि आप (खान) इसे हल होते हुए देखना चाहेंगे। और अगर मैं मदद कर सकता हूं, तो मैं मध्यस्थ बनना पसंद करूंगा। यह होना चाहिए .. हमारे पास दो अद्भुत देश हैं जो बहुत होशियार हैं और जिनका नेतृत्व बहुत होशियार हैं, (और वे) इस तरह की समस्या का समाधान नहीं कर सकते हैं। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि मैं मध्यस्थता करूं, तो मैं ऐसा करने को तैयार हूं।’’     

ट्रंप ने कहा, ‘‘इसलिए इन सभी मुद्दों का हल होना चाहिए। इसलिए, उन्होंने (मोदी) यही करने को कहा। इसलिए हो सकता है हम उनसे बात करें। या मैं उनसे बात करुंगा और हम देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।’’     

खान ने इन टिप्पणियों स्वागत करते हुए ट्रंप से कहा, ‘‘यदि आप (कश्मीर पर) मध्यस्थता कर सकते हैं तो आपको एक अरब से ज्यादा लोगों की दुआएं आपकों मिलेंगी।’’      नयी दिल्ली में भारत के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप का बयान आने के तुरंत बाद उसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मोदी ने कभी भी कश्मीर पर मध्यस्थता के लिए कुछ नहीं कहा है।     

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘हमने अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा प्रेस को दिये उस बयान को देखा है जिसमें उन्होंने कहा है कि यदि भारत और पाकिस्तान अनुरोध करते हैं तो वह कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति से इस तरह का कोई अनुरोध नहीं किया है।’’     

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का लगातार यही रुख रहा है कि पाकिस्तान के साथ सभी लंबित मुद्दों पर केवल द्विपक्षीय चर्चा होगी। पाकिस्तान के साथ किसी भी बातचीत के लिए सीमापार आतंकवाद पर रोक अनिवार्य होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच सभी मुद्दों के समाधान के लिए शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र का अनुपालन आधार होगा।’’
 

 

भाषा
वाशिंगटन


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