ओआईसी में हिस्सा लेने पर पाकिस्तान सरकार और विपक्ष बंटा

Last Updated 01 Mar 2019 01:40:36 PM IST

इस्लामिक सहयोग संगठन(ओआईसी) के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भारत को आमंत्रित नहीं करने के पाकिस्तान के आग्रह को ठुकारे जाने और इसके लेकर इस सम्मेलन का बहिष्कार करने के सरकार के कदम पर पाकिस्तान का सत्ता पक्ष और विपक्ष बंटा नजर आ रहा है।


विदेश मत्री शाह मोहम्मद कुरैशी (फाइल फोटो)

इमरान सरकार  ने कहा है कि वह अबू धाबी में ओआईसी के 46 वें  अधिवेशन  में हिस्सा नहीं लेगी जबकि पाकिस्तान पीपल्स पार्टी(पीपीपी) के सह अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्तान के इसका संस्थापक सदस्य होने के नाते बैठक में हिस्सा लेने की वकालत की है।

दो दिन की यह बैठक संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अबू धाबी में शुक्रवार को शुरु हुई है। इसमें भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज विशेष अतिथि के रुप में हिस्सा ले रही हैं।

विदेश मत्री शाह मोहम्मद कुरैशी ने शुक्रवार को संसद के संयुक्त सत्र में घोषणा की कि पाकिस्तान अबू धाबी में ओआईसी के 46 वें अधिवेशन में हिस्सा नहीं लेगा। बुधवार को पाकिस्तान ने ओआईसी को आधिकारिक रुप से सूचित किया था कि अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में यदि भारतीय विदेश मंत्री को सम्मानित अतिथि के तौर पर बुलाया गया तो वह अधिवेशन का बहिष्कार करेगा ।

संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कुरेशी ने कहा ‘‘ मैंने यूएई से भारत को आमंत्रित करने के फैसले की समीक्षा का अनुरोध किया था।  इस पर मेजबान देश का जवाब था कि जिस समय भारत को इस अधिवेशन में आने के लिए न्यौता दिया गया था पुलवामा की घटना नहीं हुई थी।’’ उन्होंने बताया कि यूएई अधिकारियों ने कहा ‘‘उनके लिए निमंत्रण को वापस लेना मुश्किल होगा।’’

जरदारी ने कहा पाकिस्तान ओआईसी के संस्थापक सदस्यों में से एक है। अत: उसे अधिवेशन में हिस्सा लेना चाहिए।

उन्होंने सदन में कहा ‘‘ मैं एक लोकतांत्रिक व्यक्ति हूं। यदि सदन मानता है कि विदेश मंत्री को हिस्सा नहीं लेना चाहिए तब मैं अधिक कुछ नहीं कहूंगा। किंतु हिस्सा नहीं लेना कोई समाधान नहीं है । विदेश मंत्री को ओआईसी की बैठक में हिस्सा लेना चाहिए। पाकिस्तान को वहां मौजूद होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा ‘‘ हमारे देश के नागरिक भावुक हैं। हम भावुक हैं और भावुकता के साथ सोचते हैं। युद्ध राष्ट्रों के विरुद्ध होता है। यदि यह ऐसे आता है तो हम युद्ध के लिए तैयार हैं किंतु यह अंतिम विकल्प होना चाहिए। नरम कूटनीति समय की जरुरत है।’’

 

वार्ता
इस्लामाबाद


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