बांग्लादेश चुनावों में प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग की शानदार जीत
प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाले गठबंधन ने बांग्लादेश में रविवार को हुए आम चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की शानदार जीत (फाइल फोटो) |
इससे पहले मतदान के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में चुनाव से जुड़ी हिंसा में कम से कम 18 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए। यह देश के सर्वाधिक हिंसक चुनावों में से एक रहा।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेतृत्व वाले विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट (यूएनएफ) को सिर्फ आठ सीटों पर जीत मिली है। बीएनपी पिछले 12 वर्षों से सत्ता से बाहर है और उसने 2014 में हुए आम चुनावों का बहिष्कार किया था।
विपक्षी नेशनल यूनिटी फ्रंट ने चुनाव आयोग से तत्काल चुनाव को रद्द करने और ‘निष्पक्ष अंतरिम सरकार’ के तहत नये सिरे से चुनाव कराने की मांग की।
बीडीन्यूज24 डॉट कॉम की खबर के अनुसार, मोर्चा के प्रमुख और वरिष्ठ वकील कमाल हुसैन ने बड़े पैमाने पर हुए फर्जीवाड़े का हवाला देते हुए चुनाव को ‘मजाक’ बताया।
बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरूल इस्लाम आलमगीर ने चुनावों को ‘क्रूर मजाक’ बताया। वह पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की अनुपस्थिति में पार्टी की कमान संभाल रहे हैं।
चुनाव आयोग ने दक्षिण पश्चिम गोपालगंज सीट के पूरे नतीजे की पुष्टि की। वहां पर प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दो लाख 29 हजार 539 मतों से जीत दर्ज की, जबकि विपक्षी बीएनपी के उम्मीदवार को मात्र 123 वोट मिले।
नेशनल यूनिटी फ्रंट (एनयूएफ) में बीएनपी, गोनो फोरम, जातीय समाज तांत्रिक दल-जेएसडी, नागरिक ओइक्या फ्रंट और कृषक श्रमिक जनता लीग घटक दल हैं।
चुनाव नतीजों को खारिज करते हुए हुसैन ने कहा, ‘‘हमारे पास सूचना है कि लगभग सभी केंद्रों पर फर्जीवाड़ा हुआ।’’ हुसैन गोनो फोरम पार्टी के प्रमुख हैं।
इन नतीजों के बाद जहां शेख हसीना चौथी बार देश की प्रधानमंत्री बनेंगी वहीं उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी खालिदा जिया ढाका जेल में अनिश्चित भविष्य का सामना कर रही हैं। वह कथित तौर पर आंशिक रूप से लकवाग्रस्त भी हैं।
मतदान कल सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक कराए गए थे।
चुनाव आयोग ने कहा था कि उन्हे हिंसा की खबरों के बीच समूचे देश से उम्मीदवारों से 100 से अधिक शिकायतें मिली हैं। मतदान के दौरान हिंसा की काफी घटनाएं हुई थीं। ‘डेली स्टार’ समाचार पत्र के अनुसार चुनाव से जुड़ी हिंसा में देश में कम से कम 18 लोग मारे गए और 200 से अधिक लोग घायल हुए।
खबरों के अनुसार, मरने वालों में ज्यादातर सत्तारूढ पार्टी के कार्यकर्ता थे जबकि अन्य लोगों में विपक्षी बीएनपी या उसके सहयोगी दलों के कार्यकर्ता भी शामिल थे।
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