Sharad Purnima 2023 : कब है शरद पूर्णिमा? जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Last Updated 27 Oct 2023 10:01:52 AM IST

Sharad Purnima 2023 : 28 अक्टूबर 2023 को शरद पूर्णिमा है। इस दिन लोग विधि -विधान से पूजा पाठ करते हैं। जानें शरद पूर्णिमा पर पूजा का मुहूर्त और महत्व


Sharad Purnima 2023

Sharad Purnima puja vidhi in hindi : जब साल में एक बार चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है उस तिथि को आश्विन मास की पूर्णिमा कहते हैं। इसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग रास रचाया था। शरद पूर्णिमा की रात चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है, तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चांदनी में रखने की परम्परा है।

शरद पूर्णिमा महत्व (Sharad Purnima 2023 Mahatva)
इस दिन न केवल चन्द्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होता है बल्कि शरद ऋतु (सर्दी) का आरम्भ भी होता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी आसमान में घूमते हुए यह पूछती हैं कि ‘कौ जाग्रति, जिसका अर्थ है कौन जाग रहा है, इसलिए इस दिन लक्ष्मी मां का पूजन किया जाता है। मां लक्ष्मी की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति शरद पूर्णिमा में रात को खीर बना कर सुबह उसका सेवन करता है उसे अमृत के बराबर समझा जाता है। पुराणों से लेकर वैज्ञानिक तक सभी मानते हैं कि शरद पूर्णिमा में रखी यह खीर औषधी का काम भी करती है जो कई रोगों को ठीक कर सकती है।

शरद पूर्णिमा  2023 शुभ  मुहूर्त (Sharad Purnima 2023 Muhurat)

  • शरद पूर्णिमा शनिवार 28 अक्टूबर 2023
  • पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - सुबह 4 बजकर 17 मिनट, 28 अक्टूबर 2023
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त - दोपहर 1 बजकर 53 मिनट, 29 अक्टूबर 2023
  • शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - 17:21, 28 अक्टूबर 2023

शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Pujan Vidhi)

  • व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान करें।
  • उसके बाद  माँ लक्ष्मी को लाल रंग के कपड़े पर स्थापित करें।
  • लाल पुष्प चढ़ाकर दीपक जलाएं।
  • मां को वस्त्र, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, सुपारी अर्पित करें।
  • माँ लक्ष्मी का ध्यान कर के व्रत का संकल्प लें।
  • इस बात का विशेष ध्यान रखें कि व्रत में आप फल ही खाएं।
  • शाम को चन्द्रमा के सामने दीपक जलाएं और खीर बनाकर चढाएं।
  • करीब 3 घंटे (एक पहर) बीतने के बाद आप वही खीर लक्ष्मी जी को अर्पित करें।
  • लक्ष्मीजी के भोग के बाद आप इस खीर को ब्राह्मणों को बाटें और रात भर माता का जागरण करें ।
  • अगली सुबह खीर का प्रसाद खाकर व्रत का समापन करें।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment