Radha ashtami puja samagri list: इस सामग्री के बिना अधूरी है राधा अष्टमी की पूजा

Last Updated 21 Sep 2023 12:39:50 PM IST

राधा अष्टमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। इस साल राधाष्टमी 23 सितंबर 2023 को है। चलिए आपको बताते हैं इस दिन पूजा करने के लिए आपको किन – किन पूजन सामग्री की ज़रुरत पड़ेगी।


Radha ashtami puja samagri

हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक साल कृष्ण जन्माष्टमी के ठीक 15 दिन बाद राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। राधा अष्टमी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता हैं। इस साल राधाष्टमी 23 सितंबर 2023 को है। देशभर में धूमधाम के साथ भक्त राधाष्टमी का त्योहार मनाते हैं। मथुरा, वृंदावन और बरसाना में राधाष्टमी के दिन विशेष आयोजन किए जाते हैं और धूमधाम से इस पर्व को मनाया जाता है। राधाष्टमी के दिन विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और खुशहाली आती है। ऐसी मान्‍यता है कि जन्‍माष्‍टमी की पूजा का फल तभी पूरा मिलता है जब राधाष्टमी का व्रत और पूजन भी किया जाए। राधाष्टमी यानी देवी राधा का जन्मदिन इनके जन्मस्थल बरसाना सहित पूरे ब्रजभूमि में उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन व्रत और उपवास रखते हैं। देवी राधा, देवी माँ लक्ष्मी का ही अंश हैं जो भगवान श्रीकृष्ण की लीला में सहयोग करने के लिए प्रकट हुई थीं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि देवी राधा के जन्मदिन यानी भाद्र शुक्ल अष्टमी से कृष्ण पक्ष की अष्टमी तक जो साधक देवी राधा की पूजा करते हैं और राधा मंत्रों का जप करते हैं। उन पर देवी लक्ष्मी की खास कृपा हो जाती है। तो चलिए आपको बताते हैं इस दिन पूजा करने के लिए आपको किन – किन पूजन सामग्री की ज़रुरत पड़ेगी।

Radha ashtami puja samagri list in hindi
राधा कृष्ण की मूर्ति
दीपक  
अक्षत
चंदन
लाल चंदन  
सिंदूर
रोली
माला
इत्र
धूप
पुष्प
पंच फल  
दक्षिणा  
पूजा के बर्तन
कपूर
चंदन
मिष्ठान
माचिस
खीर
नैवेद्य
तांबे का कलश
राधा रानी के श्रृंगार का सामान
हल्दी
दूब
कलावा  
श्रीफल
सात्विक भोजन
सिंघाड़े
वस्त्र
चौदह पूरी
आठ पुए
अहोई माता मूर्ति
करवा  
चावल की कोटरी
अगरबत्ती
आभूषण
रुई
जल कलश  
शुद्ध देशी घी  
गंगा जल  
पवित्र जल

पूजा विधि- radha ashtami vrat puja vidhi
• सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
• इसके बाद राधा जी की मूर्ती को पंचामृत से स्नान कराएं और उनका श्रंगार करें।
• राधा जी और भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें।
• प्रतिमा स्थापित करने के बाद धूप, दीप, फल, फूल आदि चढ़ाएं।
• पुष्पमाला, वस्त्र, विभिन्न प्रकार की मिठाईयां अर्पित करें।
• धूप-दीप आदि से उनकी आरती करें, व्रत की कथा सुने और व्रत का संकल्प लें।
• संध्या समय में कथा सुनने के बाद फल खाएं और पानी पीएं।
• अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन कराकर उपवास खोलें।
• ऐसा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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