विश्वास

Last Updated 06 Apr 2022 02:59:52 AM IST

मान लेते हैं कि मेरी नजर ठीक नहीं है-मैं साफ तौर पर नहीं देख सकता-और मुझे लोगों के एक दल के बीच से निकलना है।


सद्गुरु

पर मैं पूरी तरह से आश्वस्त हूं। अगर मैं उनके बीच से निकलूंगा तो क्या होगा? बहुत से लोग इसी तरह अपने जीवन से गुजर रहे हैं क्योंकि वे विश्वास से भरपूर हैं।  अगर मेरी नजर ठीक होगी, तो मैं पूरे दल को छुए बिना आराम से गुजर सकता हूं। अगर मेरी नजर साफ न हो और मेरे पास यह मानने का विनय हो कि मैं स्पष्ट नहीं देख सकता, तो मैं किसी की मदद ले कर, थोड़ी धीरे चलूंगा। जब भी आप जीवन में कोई महत्त्वपूर्ण निर्णय लेना चाहें; चाहे वह पेशेवर हो या परिवार से संबंधित, बस आप यही करते हैं, ‘अगर सिक्का उछालने पर हेड आया तो यह करेंगे, अगर टेल आया तो वह करेंगे।’ यह तरीका केवल पचास प्रतिशत ही काम करेगा।

अगर आप हमेशा पचास प्रतिशत तक ही सही होना चाहते हैं, तो आप केवल दो ही काम कर सकते हैं-आप मौसम विज्ञानी या ज्योतिषी हो सकते हैं। आप किसी दूसरी नौकरी में हैं, तो आपको काम से निकाला जा सकता है। हम जीवन को किसी खास रूप में घटने देना चाहते हैं, तो सबसे पहले आपको इस बारे में स्पष्ट करना होगा कि हम सही मायनों में क्या चाहते हैं। इसे रचने में सादे अभ्यास भी लंबी दूरी तक जा सकते हैं। हर सुबह, जब आप सोकर उठें, तो बिस्तर पर आलथी-पालथी लगा कर बैठें, अपने हाथ खोल लें, आंखें बंद हों और उन सब चीजों को देखें जो आप नहीं हैं।

आपने जो भी संग्रह किया है, उसे सराहें-आपका घर,  परिवार, आपके संबंध, शिक्षा, शरीर, कपड़े-सब कुछ। उनके लिए आभार प्रकट करें। इसके साथ ही उन बातों को पहचानें जो आप नहीं हैं, ‘यह वह सब है जो मैंने जमा किया है।’ फिर उसे मानसिक तौर पर एक ओर रख दें। जो आपने संग्रह किया, वह आपका हो सकता है, पर कभी आप नहीं हो सकते। हर रोज सुबह और शाम को दस मिनट का समय दें। इस तरह आपको स्पष्टता मिलेगी। अगर किसी को गुरू से सही तरह से दीक्षा मिले तो यह प्रक्रिया नये आयाम तक जा सकती है। पर जब तक आपके जीवन में ऐसा कोई अवसर नहीं आता, तब तक आप स्वयं इसे कर सकते हैं। यह निश्चित तौर पर आपकी स्पष्टता पर गहरा असर डालेगी।



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