नम्रता
एक बार अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज वॉशिंगटन नगर की स्थिति का जायजा लेने के लिए निकले।
श्रीराम शर्मा आचार्य |
समूचे शहर में घूम-फिरने के दौरान वे बीच-बीच में ठहर कर तमाम स्थानों में रुचि ले रहे थे। घूमते-घूमते वे एक स्थान पर जा पहुंचे जहां भवन का निर्माण कार्य चल रहा था। फितरतन वह कुछ देर के लिए वहीं रु क गए और वहां चल रहे कार्य को गौर से देखने लगे। देख रहे थे कि बड़ी फुर्ति से मजदूर अपने काम को अंजाम दे रहे थे।
लेकिन कुछ देर में उन्होंने देखा कि कई मजदूर मिलकर एक बड़ा-सा पत्थर उठा कर इमारत पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। किंतु पत्थर बहुत ही भारी था, इसलिए वह इतने मजदूरों के उठाने पर भी नहीं उठ रहा था। लाचार दिख रहे मजदूरों को ठेकेदार पत्थर न उठा पाने के कारण डांट रहा था। मजदूरों के चेहरों पर थकान और मायूसी बता रही थी कि उन्हें मदद की दरकार थी। परन्तु ठेकेदार था कि खुद किसी भी तरह उन्हें मदद देने को तैयार नहीं था। वॉशिंगटन यह देखकर उस ठेकेदार के पास आकर बोले-इन मजदूरों की मदद करो।
यदि एक आदमी और प्रयास करे तो यह पत्थर आसानी से उठ जाएगा। ठेकेदार वॉशिंगटन को पहचान नहीं पाया और रौब से बोला-मैं दूसरों से काम लेता हूं, मैं मजदूरी नहीं करता। यह जवाब सुनकर वॉशिंगटन घोड़े से उतरे और पत्थर उठाने में मजदूरों की मदद करने लगे।
उनके सहारा देते ही वह पत्थर उठ गया और आसानी से ऊपर चला गया। इसके बाद वह वापस अपने घोड़े पर आकर बैठ गए और बोले-सलाम ठेकेदार साहब, भविष्य में कभी तुम्हें एक व्यक्ति की कमी मालूम पड़े, तो राष्ट्रपति भवन में आकर जॉर्ज वॉशिंगटन को याद कर लेना।
यह सुनते ही ठेकेदार के पैरों तले की जमीन खिसक गई। उनके पैरों पर गिर पड़ा और अपने दुर्व्यवहार के लिए क्षमा मांगने लगा। ठेकेदार के माफी मांगने पर वॉशिंगटन बोले-मेहनत करने से या किसी की मदद करने से आदमी छोटा नहीं हो जाता। मजदूरों की मदद करने से तुम उनका सम्मान ही हासिल करोगे। याद रखो, मदद के लिए सदैव तैयार रहने वाले को ही समाज में प्रतिष्ठा हासिल होती है। इसलिए जीवन में ऊंचाइयां हासिल करने के लिए व्यवहार में नम्रता का होना बेहद जरूरी है। उस दिन से ठेकेदार का व्यवहार बिल्कुल बदल गया और वह सभी के साथ अत्यंत नम्रता से पेश आने लगा।
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