दोस्ती
मेरे कई दोस्त हैं, लेकिन संकट के इस समय में सवाल आया: सच्चा दोस्त कौन है? ‘आप गलत छोर से पूछ रहे हैं।
आचार्य रजनीश ओशो |
कभी मत पूछो, ‘मेरा असली दोस्त कौन है?’ पूछो, ‘क्या मैं किसी का सच्चा दोस्त हूं?’ यही सही सवाल है। आप दूसरों के बारे में चिंतित क्यों हैं वे आपके मित्र हैं या नहीं? ‘कहावत है: जरूरतमंद दोस्त ही दोस्त होता है, लेकिन गहरे में वह लालच है! वह दोस्ती नहीं है, वह प्यार नहीं है। तुम दूसरे को साधन के रूप में उपयोग करना चाहते हो, और कोई भी मनुष्य साधन नहीं है, प्रत्येक मनुष्य अपने आप में साध्य है। तुम इतने चिंतित क्यों हो कि असली दोस्त कौन है?
‘असली सवाल यह होना चाहिए: क्या मैं लोगों के अनुकूल हूं?’ दोस्ती की मेरी समझ गलत है तो दोस्ती क्या है? ‘दोस्ती बिना किसी जैविक पहलू के प्यार है। यह वह मित्रता नहीं है जिसे आप साधारणतया समझते हैं : प्रेमी, प्रेमिका। जीव विज्ञान से जुड़े किसी भी रूप में मित्र शब्द का प्रयोग सरासर मूर्खता है। यह मोह और पागलपन है। आपका उपयोग जीव विज्ञान द्वारा प्रजनन उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। अगर आपको लगता है कि आप प्यार में हैं, तो आप गलत हैं; यह सिर्फ हार्मोनल आकषर्ण है। हार्मोन के इंजेक्शन से ही पुरु ष स्त्री बन सकता है और स्त्री पुरु ष बन सकती है। ‘दोस्ती बिना किसी जैविक पहलूके प्यार है।
यह एक दुर्लभ घटना बन गई है। अतीत में यह बहुत अच्छी बात हुआ करती थी, लेकिन अतीत में कुछ महान चीजें पूरी तरह से गायब हो गई हैं। बड़ी अजीब बात है कि कुरूप चीजें जिद्दी होती हैं, और सुंदर चीजें बहुत नाजुक होती हैं, वे मर जाती हैं और बहुत आसानी से गायब हो जाती हैं। ‘आज मैत्री को या तो जैविक शब्दों में समझा जाता है या आर्थिक दृष्टि से, या समाजशास्त्रीय शब्दों में परिचित के संदर्भ में, एक प्रकार का परिचय।’ ‘यह मैत्री अभी भी वैसे ही संभव है जैसे आप अभी हैं।
ऐसी मैत्री बेहोश लोगों की भी हो सकती है, लेकिन अगर आप अपने होने के प्रति ज्यादा जागरूक होने लगें तो मैत्री मित्रता में बदलने लगती है। मित्रता का एक व्यापक अर्थ है, एक बहुत बड़ा आकाश। ‘मैत्री की तुलना में मित्रता एक छोटी सी चीज है। मैत्री टूट सकती है; मित्र शत्रु बन सकता है। मैत्री के सच में यह संभावना अंतर्निहित रहती है। ‘यह मनुष्य की अचेतन अवस्था है जहां प्रेम अपने ठीक पीछे घृणा छिपा रहा है, जहां आप उसी व्यक्ति से घृणा करते हैं, जिससे आप प्रेम करते हैं लेकिन आप इसके प्रति जागरूक नहीं हैं।’
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