प्रेम

Last Updated 24 Feb 2022 02:57:48 AM IST

प्रेम ऐसा शब्द है जो टूटे हुए हृदय को जोड़ता है, बिछुड़ों को मिलाता है, विद्वेष शांत करता है, शिकायतें दूर करता है।


श्रीराम शर्मा आचार्य

आप खुदगर्जी या मायाचार के बिना अपनेपन की भावना रखते हैं, तो विश्वास कीजिए कि कोई भी आपका गुलाम हो जाएगा। संघर्ष और कलह के लिए गुंजाइश ही नहीं रहेगी। संसार में दोषरहित व्यक्ति एक भी नहीं है। काम, क्रोध, मोह की वृत्तियां न्यूनाधिक अंशों में हरेक के मन में बस रही हैं, किसी की एक बुराई को देखकर उस पर आग बबूला हो जाना, सब बुराइयों की खान मान लेना, घृणास्पद मानना उचित नहीं।

आप निष्पक्षता से तलाश करेंगे तो उसमें बुराइयां मिलेंगी, पर बुराइयों से अच्छाइयों की मात्रा अधिक होगी। क्या ऐसा नहीं कर सकते कि इन अच्छाइयों से आनंदित हों, उन्हें प्रकट करें और प्रोत्साहित करके आगे बढ़ावें? क्या ऐसा नहीं कर सकते कि बुराइयों को कुछ देर के लिए दरगुजर कर जाएं, दफना दें, घटावें और सुधारने का प्रयत्न करें? नहीं कर सकते तो इसका एकमात्र कारण है कि उस व्यक्ति के प्रति आपका सच्चा आत्मभाव नहीं है। झूठ-मूठ किसी रिश्ते में बंध गए हैं पर उस रिश्ते को निबाहने का आपका क्या कर्त्तव्य है? इसकी आप बहुत कम जानकारी रखते हैं।

जिन स्वजनों से आप बड़बड़ाते रहते हैं, क्या कभी आपने वाणी एवं आचरण द्वारा उन्हें विश्वास दिलाने का प्रयत्न किया है कि मेरी आत्मीयता सच्ची है? इस प्रयत्न में जितने ही सफल होते हैं, उनके दिलों में उतनी ही जगह अपने लिए बना लेते हैं। मान भी लिया जाए कि दूसरे लोग आपके साथ उत्तम व्यवहार नहीं करते, हुक्म नहीं मानते, अदब नहीं करते तो भी यह कोई ऐसी बात नहीं हैं, जिससे बुरा मानने या दु:खी होने की आवश्यकता पड़े।

तीन-चार वर्ष का बच्चा आपके साथ कोई सुलूक नहीं करता, हुक्म नहीं बजाता, अदब नहीं करता, बल्कि बहुत बार खराब आचरण करता है, तो भी उसका व्यवहार आपको बुरर नहीं मालूम होता वरन किसी हद तक मनोरंजन ही करता है, फिर क्या बात है कि बड़ी उम्र के व्यक्ति के किसी प्रकार के आचरण पर अत्यंत दु:ख मानते हैं? कारण, छोटे बालक को बड़े से अधिक चाहते हैं अथवा जितना आत्मभाव बालक पर था, बड़े पर उससे कम रखते हैं। स्वार्थ के साथ प्रेम नहीं ठहर सकता। बदला चाहने वाले को निराश होना पड़ता है।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment