सफलता
अपनी सफलता के लिए कोई नुस्खा बनाने की कोशिश मत कीजिए। असली सफलता तब है जब आप अपनी पूरी क्षमता को इस्तेमाल करते हैं।
जग्गी वासुदेव |
इससे फर्क नहीं पड़ता कि आप एक डाक्टर बनते हैं या एक राजनेता, या एक योगी, या कुछ और; सफलता का मतलब है कि आप अपना जीवन अपनी पूरी क्षमता में जी रहे हैं। अगर ऐसा होना है, तो आपको समझ और एक सक्रिय बुद्धिमत्ता की जरूरत होती है। ‘मैं अपनी बुद्धिमत्ता को कैसे विकसित करूं?’ उसकी चिंता मत कीजिए। महत्त्वपूर्ण चीज यह है कि आप अपनी समझ को बढ़ाएं। अगर आप जीवन को बस वैसा ही देख पाते हैं, जैसा वह है, तो इसे अच्छे से चलाने के लिए आपके पास जरूरी बुद्धिमत्ता होगी।
अगर आप जीवन को वैसा नहीं देख पाते जैसा वह है, तो आपकी बुद्धिमत्ता आपके खिलाफ काम करेगी। इस धरती पर बुद्धिमान लोग आम तौर पर धरती के सबसे दुखी लोग हैं। ऐसा इसलिए है कि उनके पास एक सक्रिय बुद्धिमत्ता है, लेकिन जीवन की कोई समझ नहीं है। आज लोग अपने दिमाग का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं। यह उनको सामाजिक रूप से सफल बना सकता है, न कि सचमुच सफल। आप सचमुच सफल होना चाहते हैं, तो आपको हर चीज को वैसे ही देख पाना चाहिए, जैसी वह है, बिना किसी विकृति के। आप हर चीज वैसी ही देख सकते हैं, जैसी वह है तो जीवन एक नाटक, एक खेल बन जाता है। आप इसे आनंदपूर्वक खेल सकते हैं और यकीनन अच्छे से खेल सकते हैं।
आप इसे अच्छे से खेल सकते हैं तो लोग कहेंगे कि आप सफल हैं। आपको सफलता की आकांक्षा नहीं करनी चाहिए। यह अपने जीवन को बनाने का तकलीफदेह तरीका है। आप खुद को और हर किसी को पीड़ा और क्लेश पहुंचाएंगे क्योंकि अभी सफलता की आपकी सोच है कि हर किसी को आपसे नीचे होना चाहिए और आपको सबसे ऊपर। यह सफलता नहीं है; यह बीमारी है। यह कभी मत सोचिए, ‘मैं सफल होना चाहता हूं।’ बस यह देखिए कि खुद को संपूर्ण प्राणी कैसे बनाएं, और आप अभिव्यक्ति पा लेंगे। अच्छी अभिव्यक्ति पाता है तो लोग कहेंगे, ‘वह व्यक्ति एक महान सफलता है!’ लोगों को पहचानना चाहिए कि आप सफल व्यक्ति हैं, लेकिन आपको यह नहीं सोचते रहना चाहिए कि कैसे सफल बनें। यह जीवन के प्रति गलत रवैया है।
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