परिवार से लगाव

Last Updated 25 Nov 2020 12:02:26 AM IST

मैंने कभी यह नहीं कहा कि आप अपने संबंधों के धागे काट दीजिए।


सद्गुरु

यह बेहद अफसोस की बात है कि फिलहाल आपके संबंधों के धागे बहुत कम लोगों से जुड़े हैं। इनका विस्तार कीजिए। इन धागों को आप कुछ लोगों से जोड़ने के बजाय धरती पर मौजूद हर प्राणी से जोड़ने की कोशिश कीजिए। आखिर आप अपने धागे को काटना क्यों चाहते हैं? धागों को काटने की तो कोई वजह ही नहीं है। देखिए ‘जुड़ने’ और ‘उलझने’ में फर्क है। जीवन को जानने का सिर्फ  एक ही तरीका है: जीवन से जुड़ना। यह बात केवल आध्यात्मिकता से जुड़ी नहीं है। अगर आप जुड़ाव नहीं रखेंगे, तो क्या जीवन में कभी किसी भी चीज के बारे में जान पाएंगे? आज कल लोगों में जुड़ाव की कमी दिखती है।

जब आप जुड़ने में भेदभाव करते हैं, तो यह उलझन बन जाता है। आप बिना किसी भेदभाव के जुड़ें। आप जिस धरती पर चलते हैं, आप जो भोजन करते हैं, आप जो पानी पीते हैं, आप जिस हवा में सांस लेते हैं और उस स्थान में जहां आप रहते हैं, कोशिश कीजिए कि आप इन सारी चीजों से पूरी तरह जुड़ सकें। हालांकि इन चीजों से तो आप अभी भी जुड़े हुए हैं, लेकिन फिलहाल आपका यह जुड़ाव अचेतन है। अगर आप उस हवा से जुड़ाव नहीं रखेंगे, जिसमें आप सांस लेते हैं तो आप मर जाएंगे। आपको बस जुड़ाव को लेकर सचेतन होना है। अगर आप किसी चीज से अचेतन रूप से जुड़ते हैं तो यह एक बड़ा बोझ लगता है, लेकिन अगर आप सचेतन रूप से किसी चीज से जुड़े हुए हैं, तो यही अनुभव एक आनंदमय अनुभव बन जाता है।

आज हमारे पास वैज्ञानिक प्रमाण है कि आपके शरीर के परमाणु का हर कण इस पूरे ब्रह्मांड के साथ संपर्क बनाए हुए है। इसे नजरअंदाज करके आप उस विशाल शक्ति को अनदेखा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो आपके जीवन और इस सृष्टि का आधार है। अपने परिवार से जुड़ना, आपकी पीड़ा का कारण नहीं है, बल्कि पीड़ा का कारण जीवन को अनदेखा करना है। जीवन का अनुभव केवल जीवन से जुड़कर ही किया सकता है। जितनी मजबूती से आप जीवन से जुड़ेंगे, जीवन को लेकर होने वाले अनुभव भी उतने ही प्रबल होंगे। अपने जुड़ाव को लेकर आपके भीतर डर इसलिए आया, क्योंकि पिछली बार आपका जुड़ाव जहां हुआ था, वहां से आपको चोट मिली।



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