स्वार्थ

Last Updated 04 Sep 2020 01:40:13 AM IST

दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे नि:स्वार्थ कहा जा सके। हर चीज अपने खुद के मतलब के लिए ही होती है, हर कोई स्वार्थी ही है।


जग्गी वासुदेव

आपके विचार और आपकी भावनाएं मूल ढंग से आपके अंदर से हैं, तो वे स्वार्थी ही हैं। सवाल सिर्फ यह है कि अपने स्वार्थ के बारे में आप कंजूस हैं, या उदार? क्या आपका स्वार्थीपन सिर्फ  उनके लिए है जो किसी तरह से आपके शरीर के साथ जुड़े हैं-आपके पति या पत्नी हैं, या बच्चे, या माता-पिता या भाई-बहन, या आपके परिवार से हैं? या फिर, आपका स्वार्थीपन ज्यादा बड़ा है-जो सारी मानवता को, हरेक प्राणी को भी शामिल कर लेता है? स्वार्थी होने का सवाल नहीं है, यह तो कंजूस होने की बात है।

आप जानते हैं, इसका मतलब है कम-जूस या कम-रस होना! आप में पर्याप्त रस नहीं है जिससे आप अपने चारों ओर के जीवन के लिए कुछ महसूस कर सकें। आप अपने जीवन में बस थोड़े से लोगों के लिए ही कुछ महसूस करते हैं। जब बात शारीरिक या आर्थिक पहलुओं की आती है, तो ठीक है कि आप कुछ ही लोगों की संभाल कर सकते हैं पर जब बात विचारों और भावनाओं की हो तो कहीं कोई कमी नहीं है। आप ब्रह्मांड के हर जीव के हमदर्द हो सकते हैं, उससे सहानुभूति रख सकते हैं। समस्या है कि आप में पर्याप्त रस, पर्याप्त जीवन नहीं है।

आप में काफी ज्यादा मात्रा में जीवन हो तो आप हर प्राणी के लिए यह महसूस कर सकते हैं, हर एक कीड़ा, पौधा, पक्षी, जानवर-हर चीज के लिए। अपने जीवन को समृद्ध करने का यही रास्ता है। जीवन समय की बस छोटी-सी मात्रा है। जरूरी नहीं है कि कोई और आप में यह भाव जगाए, प्रेरित करे। अभी तो आपकी समस्या है कि आपका आनंद, प्रेम और आपकी दूसरी भावनाएं-आपकी हर वो चीज जो सुंदर है-किसी और के धक्का  देने से शुरू होती है।

कोई आपको धकेले तब आप आगे बढ़ते हैं, तब ये भाव जागते हैं। पर ऐसा तरीका भी है कि आप खुद ही इसे शुरू करें, सेल्फ-स्टार्ट पर हो जाएं। सेल्फ-स्टार्ट पर हो जाते हैं, तब सुबह उठते ही प्रेमपूर्ण, आनंदपूर्ण और उल्लसित हो सकते हैं। नहीं तो किसी को आपके लिए कुछ करना पड़ता है, तब जाकर आप अपने अंदर प्रचुरता का थोड़ा बहुत अनुभव कर पाते हैं।



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment