योग

Last Updated 10 Jun 2020 02:20:03 AM IST

जैसे ही आप खुद को उन सब चीजों से जुड़ा हुआ मानती हैं, जो आप नहीं हैं, तो आप इन विचारों को नहीं रोक सकती।


सद्गुरु

भौतिक शरीर से शुरू करके जो एक गठरी है, मन, भावनाएं, चीजें, लोग, आपने इतनी सारी झूठी पहचानें जोड़ ली हैं कि उनका सिलसिला कभी खत्म ही नहीं होता। ‘लोग इन झूठी पहचानों के साथ अपने संबंधों को समझ नहीं पाते। आप इस हाल में खुशी पा सकती हैं। बाहरी स्थितियों के कारण आपको थोड़ा आनंद मिल सकता है, पर अधिकतर लोगों के लिए स्वयं में रहकर पूरी तरह आनंदमय होना संभव नहीं हो पाता। इस स्थिति में आनंद कुछ बाहरी चीजों के कारण है, आपका अपना नहीं।

लेकिन आप केवल भौतिक सुख चाहती हैं तो थोड़े-बहुत नियंत्रण से काम चल जाएगा और इसको हासिल करना बड़ा सरल है। ‘मुझे अभी भी लगता है कि केवल आरामदेह जीवन जीने की कोशिश करके हम अपना मूल्य घटा रहे हैं, मैंने कहा। ‘अपने तन-मन पर थोड़े-से नियंत्रण से ही आप ये सब चीजें आसानी से पा सकती हैं। यदि आप अपनी जीवन-ऊर्जा को एक निश्चित स्तर से ऊपर उठाकर तीव्र कर लें तो ये आपके तन और मन से अधिक प्रबल हो जाएगी और तब आप बिना मेहनत के अपना मनचाहा रच पाएंगी।

अपना जीवन उस पर जरा भी खपाए बिना संसार की हर मनचाही भौतिक वस्तु आपके कदमों में होगी। इसमें आपका जरा भी समय नष्ट नहीं होगा। सफल लोग वे होते हैं, जो अपने मन पर कुछ हद तक नियंत्रण कर पाते हैं। वे किसी भी काम में खुद को एक विशेष रूप में दूसरों से अधिक लगा पाते हैं। वैसे सबसे अच्छा तो यह होगा कि आप चाहने की विवशता के पार निकल जाएं, वरना आप बहुत-सी गैर-जरूरी चीजों का निर्माण कर इस धरती का संतुलन बिगाड़ देंगी,’ सद्गुरु  ने कहा। निश्चित रूप से मैं बड़ी-बड़ी चीजें नहीं कर पाई थी।

सद्गुरु  मुझे याद दिला रहे थे कि मेरे स्वास्थ्य में इतना सुधार कितनी महत्त्वपूर्ण बात है। मैं उसका मूल्य कम नहीं करना चाहती थी। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक नहीं है, तो उस पर सबसे पहले ध्यान देना होता है। शक्तिहीन और पीड़ा से कराहते रहने के कारण ईशा के अभ्यास मेरे लिए शुरू में बड़े मुश्किल होते थे। अब उस समस्या के न होने के कारण मैं योग के सूक्ष्म आयामों को और अधिक अनुभव कर पा रही हूं।



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