समस्या
अगर दुनिया खत्म हो जाए तो समस्या क्या है? मुझसे यह कई बार पूछा गया है, लेकिन समस्या क्या है? अगर वह खत्म होती है तो होती है।
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
उसमें कोई समस्या नहीं है क्योंकि हम यहां नहीं रहेंगे, हम उसके साथ समाप्त हो जाएंगे और चिंता करने के लिए भी कोई नहीं रहेगा। यह वस्तुत: भय से सबसे बड़ी मुक्ति होगी। दुनिया का अंत होने का मतलब है हर समस्या का अंत, तुम्हारे पेट की हर गांठ का अंत। मुझे कोई समस्या नहीं दिखाई देती, लेकिन मैं जानता हूं कि हर कोई भयभीत है। लेकिन सवाल वही है: यह भय मन का हिस्सा है। मन डरपोक है, और डरपोक होना स्वाभाविक है क्योंकि उसमें कोई सार तत्व नहीं है, वह खाली और शून्य है, और वह हर बात से डरता है।
और मूलत: वह इससे डरता है कि एक दिन तुम जाग सकते हो। वह सचमुच दुनिया का अंत होगा! दुनिया का अंत इस अर्थ में कि तुम्हारा जाग जाना, तुम्हारा ध्यान की स्थिति को उपलब्ध हो जाना, वहां मन को विदा होना पड़ता है, वह असली भय है। यह भय लोगों को ध्यान से दूर रखता है, उन्हें मेरे जैसे लोगों का दुश्मन बनाता है जो ध्यान का स्वाद फैला रहे हैं, जो होश और साक्षीभाव का उपाय बता रहे हैं। लोग मेरे खिलाफ हो जाते हैं, वह अकारण नहीं, उनका भय जायज है।
उन्हें इसका होश न हो, लेकिन उनका मन सचमुच भयभीत है उस बात के करीब आने से जो ज्यादा सजगता पैदा कर सकती है। वह मन के अंत की शुरु आत होगी। वह मन की मृत्यु होगी। लेकिन तुम्हें कोई भय नहीं है, मन का अंत तुम्हारा पुनर्जन्म होगा, तुम्हारा वास्तव में जीने का प्रारंभ। तुम्हें प्रसन्न होना चाहिए, तुम्हें मन की मृत्यु में खुशी मनाना चाहिए क्योंकि उससे बड़ी स्वतंत्रता नहीं है।
अन्य कोई बात तुम्हें आकाश में उड़ने की स्वतंत्रता नहीं देगी, अन्य कोई बात पूरा आकाश तुम्हारा नहीं करेगी। मन एक कारागृह है। सजगता है कारागृह से बाहर जाना या इसका बोध होना कि वह कभी कारागृह में था ही नहीं, वह सिर्फ सोच रहा था कि वह कारागृह में था। फिर पूरा भय नदारद हो जाता है। मैं भी उसी दुनिया में जी रहा हूं लेकिन मुझे एक क्षण भी कोई भय नहीं लगा क्योंकि मुझसे कुछ भी छीना नहीं जा सकता। मेरी हत्या की जा सकती है लेकिन मैं उसे भी होते हुए देखूंगा, तो जो मारा जा रहा है वह मैं नहीं हूं, मेरी सजगता नहीं है। जीवन में बड़ी से बड़ी खोज, सबसे कीमती खजाना है सजगता। उसके बगैर तुम अंधकार में ही रहोगे।
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