रोग न पालें

Last Updated 12 Apr 2019 04:21:43 AM IST

डिप्रेशन की वजह यह है कि आप ऐसे विचार और भावनाएं पैदा कर रहे हैं, जो आप के खिलाफ काम कर रही है, आप के लिए नहीं।


जग्गी वासुदेव

ज्यादातर डिप्रेशन खुद अपने ही बनाये हुए होते हैं। बहुत कम ही लोग वास्तव में किसी रोग के कारण डिप्रेशन में होते हैं। वे कुछ नहीं कर सकते, उनका डिप्रेशन अंदर से, किसी आनुवांशिक कमज़ोरी या ऐसे ही किसी अन्य कारण से होता है। बाकी लगभग सभी लोगों को पागल किया जा सकता है क्योंकि स्थिर मानसिकता और पागलपन की सीमारेखा में अंतर बहुत ही पतला, महीन होता है। जब आप गुस्सा होते हैं, तब आप इस बीच के अंतर को कम कर देते हैं।

आप किसी पर पागल नहीं होते, आप बस पागलपन की ओर जा रहे होते हैं। आप ‘किसी पर पागल’ नहीं हो सकते। आप बस स्थिर मानसिकता की सीमारेखा को कुछ समय के लिए लांघते हैं। फिर वापस आ जाते हैं। लेकिन आप हर दिन 10 मिनट, किसी पर जबरदस्त, तीव्र गुस्सा करेंगे तो 3 महीनों में आप डिप्रेशन के रोगी हो जाएंगे। आपको यह समझना चाहिए कि अगर एक पल के लिए भी आप बीमार होते हैं तो आप बीमार ही हैं।  आपको जीवन में बीमार पड़ने पर बहुत से पल्रोभन मिलते हैं। अपने बचपन से ही आप को घरवालों का, दूसरों का अधिकतम ध्यान तभी मिलता था, जब आप बीमार होते थे। 

तो आपने बचपन में ही बीमार पड़ने की कला सीख ली थी, लोग आपकी तरफ ध्यान जो देते थे। लेकिन जब आप की शादी हो गई, तब से आपने मानसिक रूप से बीमार पड़ने की कला भी सीख ली है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रोत्साहन रखें, बीमारी के लिए नहीं। मैं कहूंगा कि दुर्भाग्यवश, धरती पर होने वाली 70% बीमारियां, अलग-अलग तरीकों से, हमारी खुद की बनायी हुई होती हैं। इन्फेक्शन के केस में भी, अगर आप अपने आपको शारीरिक और मानसिक रूप से, एक खास तरह से रखते हैं तो आप पर विषाणु और जीवाणु उस तरह का असर नहीं कर पायेंगे जैसे वे दूसरों पर करते हैं।

जी हां, अगर आप अपने आपको ऐसे ढंग से रखें कि चाहे कुछ भी हो, मुझे बिना छुट्टी के अपने काम पर जाना है, तो यह संभव है। तो किसी बीमारी के लिए पल्रोभन न रखें। अगर बच्चा बीमार है तो उसे दूर से देखिए कभी भी जाकर गले लगा कर प्यार मत जताइए। उसे समझ में आएगा कि ये उसके जीवन का सबसे खराब समय है और उसे जल्दी अच्छा होना है। तो वह अच्छा हो जाएगा।



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