यौन ऊर्जा
मनुष्य ने सेक्स के खिलाफ एक युद्ध शुरू किया है, और इससे जुड़े परिणाम का सही आकलन करना मुश्किल है... हम और भी चकित हो जाएंगे, जब हम सेक्स से होने वाले बीमारियों की लिस्ट देखेंगे.
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
इन सारी कुरूपताओं के लिए कौन जिम्मेदार है? वो लोग हैं, जो लोगों को सेक्स की भावना को समझने के बजाय इसका दमन करना सिखाते हैं.
इस बात को स्वीकार करना जरूरी है कि सेक्स की ऊर्जा दिव्य होती है. दोस्तों के एक समूह के साथ मैं खजुराहो के विश्व प्रसिद्ध मंदिर देखने गया. मंदिर का बाहरी दीवार और परिसर यौन क्रियाओं के दृश्यों और संभोग की कई मुद्राओं से सजा हुआ था. मेरे एक दोस्त ने पूछा कि मंदिर को सजाने के लिए ये मूर्तियां यहां क्यों रखी हुई हैं?
मैंने उन्हें बताया कि जिन शिल्पकारों ने मंदिर को बनाया है, वो काफी बुद्धिमान थे. सेक्स के जुनून को जानते थे और यह भी कि यह जीवन की परिधि पर मौजूद है. उनका विश्वास था कि जो लोग अब तक सेक्स में जकड़े हुए हैं, उन्हें इस मंदिर में प्रवेश करने का कोई अधिकार नहीं है. हम अंदर गए. मंदिर के अंदर भगवान की कोई मूर्ति नहीं थी. मेरा दोस्त अंदर भगवान की कोई मूर्ति ना पाकर आश्चर्यचकित था. मैंने उन्हें बताया कि जीवन की बाहरी दीवार पर वासना और जुनून का अस्तित्व है, जबकि भगवान का मंदिर अंदर है.
वो लोग जो अभी भी जुनून या सेक्स से मुग्ध हैं, वो मंदिर के अंदर विराजित भगवान की मूर्ति तक नहीं पहुंच सकते. केवल बाहरी दीवार तक ही घूमते रह जाते हैं. इस मंदिर को बनाने वाले लोग समझदार थे. यह ध्यान का एक केंद्र था, जिसकी सतह पर और चारों ओर कामुकता थी, जबकि केंद्र में शांति और खामोशी का वास था. उन्होंने आकांक्षियों को बताने की कोशिश की थी कि सेक्स पर ध्यान कैसे करें? जब वो सेक्स को अच्छी तरह से समझ गए तो निश्चित तौर पर उनका मन इससे मुक्त हो गया था.
वो फिर अंदर गए होंगे और भगवान की मूर्ति को देखा होगा. लेकिन धर्म के नाम पर हम सेक्स को समझने की हर संभावना को नष्ट कर देते हैं. हम मानते हैं कि पंडित सेक्स के दुश्मन हैं. वो इसके दुश्मन बिल्कुल नहीं हैं, बल्कि इसके प्रचारक हैं. उन्होंने सेक्स को लेकर एक आकषर्ण को जन्म दे दिया है. उनका सेक्स का विरोध करना लोगों को इसके प्रति और आकर्षित करता है, और उन्हें इसके लिए पागल बनाता है.
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