उल्लास

Last Updated 31 Jan 2018 01:52:39 AM IST

आप खुद को जितना अकेला समझेंगे, खुद को जितना निराश महसूस करेंगे, उतना ही आपको लोगों के साथ की जरूरत महसूस होगी.


जग्गी वासुदेव

लेकिन आप जितना खुश होंगे, आप भीतर से जितना उल्लसित और उत्साहित महसूस करेंगे, आपको लोगों के साथ की जरूरत उतनी ही कम महसूस होगी. इसलिए जब आप खुद के साथ और तब आप अकेलापन महसूस करते हैं तो इसका सीधा सा मतलब है कि आप एक खराब संगत में हैं.

अगर आप एक अच्छे इंसान की संगत में हैं तो आप अकेलापन कैसे महसूस कर सकते हैं? तब तो आपको बहुत अच्छा और विशिष्ट महसूस करना चाहिए. आपके उल्लास को पैदा नहीं किया सकता. अगर यह ओढ़ा हुआ या कृत्रिम रूप से बनाया हुआ उल्लास है तो बेशक आपको लोगों के साथ की जरूरत महसूस हो सकती है.

अक्सर लोग उल्लास या आनंद का मतलब समझते हैं संगीत सुनना, नाचना और झूमना. आनंद के लिए ये सब करना बिल्कुल जरूरी नहीं है. आप चुपचाप एक जगह शांति से बैठकर भी पूरी तरह से आनंद और उल्लास को अपने भीतर महसूस कर सकते हैं. इस एक अंतर को समझना होगा कि अगर आप अपने स्वभाव से ही आनंदित रहने वाले इंसान हैं, या आपका जीवन आनंदमय हो गया है तो आपका काम बस उसका एक परिणाम भर होता है.

लेकिन कई बार आपका जीवन उल्लासपूर्ण नहीं होता, बल्कि आप कुछ गतिविधियों की मदद से इसे उल्लासपूर्ण बनाने की कोशिश कर रहे होते हैं. इन दोनों स्थितियों में एक बड़ा फर्क है. एक में आप नृत्य करके आनंद की स्थिति में पहुंचते हैं, जबकि दूसरी में आप आनंद से भरे होते हैं और उस आनंद को संभाल न पाने के कारण आप नाचने लगते हैं. ये दोनों चीजें अलग-अलग हैं.

या तो आपके भीतर की खुशी से आपकी हंसी फूट पड़ती है या फिर किसी ने आपसे कहा होता है कि अगर हर सुबह उठकर आप हंसेंगे तो एक दिन आपको खुशी मिल जाएगी. ये दो अलग-अलग तरीके हैं. अब आप अपने चारों तरफ नजर दौड़ाइए और देखिए कि जीवन कैसे चलता है? क्या ऐसा होता है कि फूलों को जब खिलना होता है, तो उन्हें सहारा देने के लिए पौधे और उसकी जड़ें उगती हैं? अगर आपने दूसरे तरह से जीने की कोशिश की तो जीवन बड़ा मुश्किल हो जाएगा.

जग्गी वासुदेव


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