प्रेम और विवाह

Last Updated 21 Nov 2017 05:51:10 AM IST

प्रेम जो है, वह व्यक्तित्व की तृप्ति का चरम बिंदु है. और जब प्रेम नहीं मिलता है तो व्यक्तित्व हमेशा मांग करता है कि मुझे पूर्ति चाहिए.


आचार्य रजनीश ओशो

यह तड़पता हुआ व्यक्तित्व समाज में अनाचार पैदा करता है. उसे विवाह में प्रेम नहीं मिलता. वह विवाह के अतिरिक्त प्रेम खोजने की कोशिश करता है. वेश्याएं पैदा होती हैं विवाह के कारण. वेश्याएं रोक दी जाएंगी तो दूसरे परिवारों में पीछे के द्वारों से पाप के रास्ते निर्मिंत होंगे. इसीलिए तो सारे समाज ने तय कर लिया है कि कुछ वेश्याएं निश्चित कर दो ताकि परिवारों का आचरण सुरक्षित रहे.

लेकिन जो समाज ऐसा अनैतिक उपाय खोजता है, जिस समाज में वेश्याएं जैसी अनैतिक संस्थाएं ईजाद करना पड़ती हैं, जान लेना चाहिए कि वह पूरा समाज बुनियादी रूप में पूरा अनैतिक होगा. वेश्या पैदा होती है, अनाचार पैदा होता है, व्यभिचार पैदा होता है.

तलाक पैदा होते हैं. तलाक न होता न व्यभिचार होता, और न अनाचार होता तो घर चौबीस घंटे का मानसिक तनाव, एंग्जाइटी बन जाता. सारी दुनिया में पागलों की संख्या बढ़ती गई है. ये पागल परिवार के भीतर पैदा होते हैं.

सारी दुनिया विक्षिप्त उन्माद से भरती चली जा रही है. पुरुष पागल होते चले जा रहे हैं. एक घंटे में जमीन पर एक हजार आत्महत्याएं हो जाती हैं. और हम चिल्लाए जा रहे हैं-समाज हमारा बहुत महान है.

आप यह मत सोचना कि वे जो नहीं मरते हैं, वे बहुत सुखमय हैं. कुल जमा कारण यह है कि वे मरने की हिम्मत नहीं जुटा पाते. उनके सुख का कोई भी सवाल नहीं है. मरने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं तो जिये चले जाते हैं. सोचते हैं, आज गलत है तो कल ठीक हो जाएगा. लेकिन मस्तिष्क उनके रुग्ण होते चले जाते हैं.

प्रेम के अतिरिक्त कोई आदमी कभी स्वस्थ नहीं हो सकता. प्रेम जीवन में न हो तो मस्तिष्क रुग्ण होगा. दुनिया में बढ़ती हुई शराब शराबियों के कारण नहीं है. परिवार ने उस हालत में ला दिया है लोगों को कि बिना बेहोश हुए थोड़ी देर के लिए भी रास्ता मिलना मुश्किल हो गया है. तो लोग शराब पीने चले जाएंगे. बेहोश पड़े रहेंगे, आत्महत्या करेंगे, पागल होते चले जाएंगे.

अमेरिका में प्रतिदिन बीस लाख आदमी मानसिक इलाज करवा रहे हैं. ये सरकारी आंकड़े हैं. आप भली भांति जानते हैं सरकारी आंकड़े कभी भी सही नहीं होते. बीस लाख सरकार कहती है. तो कितने लोग इलाज करा रहे होंगे. कहना मुश्किल है. जो अमेरिका की हालत है, वह सारी दुनिया की हालत है.



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