सम पर जीवन

Last Updated 19 Sep 2017 05:21:42 AM IST

परमात्मा बाहर भी है, और भीतर भी. वस्तुत: बाहर और भीतर का भेद अज्ञान-आधारित है. बाहर भी उसी का है, भीतर भी उसी का है; एक ही आकाश व्याप्त है.


आचार्य रजनीश ओशो

लेकिन मन के लिए सदा आसान है चुनाव करना. मन चुनने की कला है. तो यह तो मन बाहर देखता है या भीतर. अगर मन दोनों को देख ले, तो मन मिट जाता है. दोनों को एक साथ देख लेने वाला व्यक्ति न तो अंतर्मुखी होता है, न बहिर्मुखी.

जुंग ने आदमियों के दो विभाजन किए हैं, अंतर्मुखी, इंट्रोवर्ट और बहिर्मुखी, एक्सट्रोवर्ट. अंतर्मुखी धीरे-धीरे बाहर से संबंध छोड़ देता है; बहिर्मुखी धीरे-धीरे अंतर से संबंध छोड़ देता है. दोनों के जीवन एकांगी हो जाते हैं. जैसे तराजू का एक ही पलड़ा भारी हो जाता है. एक जमीन छूने लगता है, एक आकाश में अटक जाता है जबकि जीवन ऐसा तराजू होना चाहिए कि कांटा मध्य में सधा रहे. बाहर और भीतर दोनों समान अनुपात में सधें. यह अब तक नहीं हो पाया. पूरब ने भीतर को साधने में बाहर की उपेक्षा कर दी.

वहीं पूरब का पतन हुआ. वहीं भारत गिरा और अब तक नहीं उठ पाया. पश्चिम ने बाहर को सम्हालने में भीतर खो दिया. दोनों के आकषर्ण हैं.  लाभ हैं. हानियां हैं. अंतर्मुखी व्यक्ति शांत हो जाता है; जीवन में तनाव कम हो जाता है, भाग-दौड़ रु क जाती है. लेकिन अंतर्मुखी व्यक्ति अगर अतिशय अंतर्मुखता से भर जाए तो धीरे-धीरे दीन हो जाएगा.

शांति तो रहेगी, लेकिन दरिद्र हो जाएगा. भीतर तनाव न रहेगा, लेकिन बाहर जीवन की सुख-सुविधा खो जाएगी. बहिर्मुखी व्यक्ति बाहर तो बड़ा आयोजन कर लेता है, भीतर चिंता से भर जाता है. बाहर तो बहुत सुख हो जाएगा, भीतर उसी मात्रा में दुख संगृहीत हो जाएगा. भारत के मनीषियों ने बड़े ऊंचे शिखर छुए, लेकिन वे शिखर अंतर्मुखता के थे, अधूरे थे. परमात्मा पूरा न था उनमें. पश्चिम ने बड़े शिखर छू लिए हैं. पश्चिम के भवन पहली दफा गगनचुंबी हुए हैं, आकाश को छू रहे हैं. बड़ा फैलाव है विज्ञान का.

शक्ति बढ़ी है विनाश की, सृजन की. लेकिन भीतर आदमी बिल्कुल ही पीड़ा, ग्लानि, पाप, अंधकार से भरा है. बाहर तो खूब रोशनी हो गई है, भीतर की रात अमावस हो गई है. वहां चांद का कोई दर्शन ही नहीं होता, वहां तारे भी छिप गए हैं. ध्यान रखना कि मन को हमेशा सुविधा है, दो में से एक को चुनने की क्योंकि मन द्वंद्व है. एक को चुनो, द्वंद्व जारी रहता है, संघर्ष जारी रहता है. दोनों को चुन लो, द्वंद्व मिट जाता है.



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