ओशो, प्रीति, धर्म, धार्मिक लेख

Last Updated 26 Aug 2017 07:15:48 AM IST

कोई आदमी धन कमाने में लगा है; धन तो ऊपर की बात है, भीतर तो प्रीति से ही जी रहा है-धन से उसकी प्रीति है.


आचार्य रजनीश ओशो

कोई आदमी पद के पीछे पागल है; पद तो गौण है, प्रतिष्ठा की प्रीति है. जहां भी खोजोगे, तो तुम प्रीति को ही पाओगे. कोई वेश्यालय चला गया है, और किसी ने किसी की हत्या कर दी है-पापी में और पुण्यात्मा में, तुम एक ही तत्व को एक साथ पाओगे, वह तत्व प्रीति है. फिर प्रीति किससे लग गई, उससे भेद पड़ता है. धन से लग गई तो तुम धन ही होकर रह जाते हो. ठीकरे हो जाते हो. कागज के सड़े-गले नोट होकर मरते हो. यह बड़ा बुनियादी सत्य है; इसे हृदय में सम्हाल कर रखना. प्रीति महंगा सौदा है, हर किसी से मत लगा लेना. जिससे लगाई वैसे ही हो जाओगे. वैसा होना हो तो ही लगाना. प्रीति का अर्थ ही यही होता है कि मैं यह होना चाहता हूं. राजनेता गांव में आया और तुम भीड़ करके पहुंच गए, फूलमालाएं सजा कर-किस बात की खबर है?

तुम गहरे में चाहते हो कि मेरे पास भी पद हो, प्रतिष्ठा हो; इसलिए पद और प्रतिष्ठा की पूजा है. कोई फकीर गांव में आया और तुम पहुंच गए; उससे भी तुम्हारी प्रीति की खबर मिलती है कि तड़फ रहे हो फकीर होने को-कि कब होगा वह मुक्ति का क्षण, जब सब छोड़-छाड़.जब किसी चीज पर मेरी कोई पकड़ न रह जाएगी. कोई संगीत सुनता है तो धीरे-धीरे उसकी चेतना में संगीत की छाया पड़ने लगती है.

तुम जिससे प्रीति करोगे वैसे हो जाओगे; जिनसे प्रीति करोगे वैसे हो जाओगे. तो प्रीति का तत्व रूपांतरकारी है. प्रीति का तत्व भीतरी रसायन है. और बिना प्रीति के कोई भी नहीं रह सकता. प्रीति ऐसी अनिवार्य है जैसे ास. जैसे शरीर ास से जीता, आत्मा प्रीति से जीती. इसलिए अगर तुम्हारे जीवन में कोई प्रीति न हो, तो तुम आत्महत्या करने को उतारू हो जाओगे. या कभी तुम्हारी प्रीति का सेतु टूट जाए, तो आत्महत्या करने को उतारू हो जाओगे. घर में आग लग गई और सारा धन जल गया, और तुमने आत्महत्या कर ली; क्या तुम कह रहे हो?

तुम यह कहते हो: यह घर ही मैं था, यह मेरी प्रीति थी. अब यही न रहा तो मेरे रहने का क्या अर्थ! तुम्हारी पत्नी मर गई और तुमने आत्महत्या कर ली; तुम क्या कह रहे हो? तुम यह कह रहे हो: यह मेरी प्रीति का आधार था. जब मेरी प्रीति उजड़ गई, मेरा संसार उजड़ गया. अब मेरे रहने में कोई सार नहीं. हम प्रीति के साथ अपना तादात्म्य कर लेते हैं. बिना प्रीति के कोई भी नहीं जी सकता.



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