जीवन
इधर कुछ दिनों से मैं बहुत उदास रहने लगा हूं-अकारण. तुम पकड़ रहे हो; यही सारी समस्या हो सकती है.
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
तुम जीवन पर विास नहीं करते. भीतर कहीं गहरे में जीवन के प्रति गहरा अविास है, मानो तुम अगर नियंत्रण नहीं कर पाते, तब चीजें गलत हो जाएंगी. और अगर तुम उन पर नियंत्रण कर लेते हो केवल तब ही चीजें सही होने लगती हैं; मानो तुम्हें हमेशा सारी चीजों को प्रयत्न पूर्वक सम्हालना होगा.
शायद इन सबमें तुम्हारे बचपन की किसी कंडीशनिंग ने मदद की हो. उससे काफी नुकसान हो चुका है, क्योंकि जब कोई व्यक्ति प्रत्येक चीज को नियंत्रित करने लगता है, तब वह जीवन को बहुत कम जीता है. जीवन एक ऐसी विशाल घटना है; उस पर नियंत्रण असंभव है.
और अगर तुम सच में ही उस पर नियंत्रण करना चाहते हो तो तुम्हें उसको बिलकुल सीमित करना होगा; केवल तब ही तुम उस पर नियंत्रण कर सकते हो. अन्यथा जीवन तो निरंकुश है. यह इतना ही निरकुंश है, जितने बादल और वर्षा और यह हवा और ये पेड़ और यह आकाश. वह निरकुंश है और तुमने उसके इस निरकुंश भाग को पूरी तरह से काट दिया है.
तुम उससे भयभीत हो, इसी कारण तुम इतना नहीं खिल पाते जितने अधिक तुम खिल सकते हो, और यह सब तुम्हारी उदासी को भी निर्मिंत कर रहा है. उदासी और कुछ भी नहीं-केवल वही उर्जा है, जो प्रसन्नता हो सकती थी. जब तुम स्वयं की प्रसन्नता को खिलता हुआ नहीं देख पाते, तब तुम उदास हो जाते हो. जब कभी तुम किसी को प्रसन्न देखते हो, तब तुम उदास हो जाते हो कि तुम्हारे साथ ऐसा क्यों नहीं घट रहा?
तुम्हारे साथ भी ऐसा घट सकता है, इसमें कोई समस्या नहीं है. तुम्हें केवल अपने अतीत की कंडीशनिंग से मुक्त होना है. तुम्हें केवल लीक से बाहर आना है, जिससे यह घटित हुआ है, इसलिए तुम्हें अपने को खोलने का थोड़ा सा प्रयास करना है-चाहे शुरु आत में यह थोड़ा पीड़ादायक लगे. रात में एक ध्यान करना शुरू करो, आज रात से ही.
ऐसा महसूस करो कि तुम कोई मनुष्य नहीं, बल्कि कोई पशु हो, तुम अपने पसंद के किसी भी पशु को चुन सकते हो. वैसे ही पशु बन जाओ. अपने कमरे में हाथ और पैरों पर चलो. पंद्रह मिनटों के लिए इस कल्पना का जितना आनंद ले सकते हो, लो. भौंको अगर तुम कुत्ते बने हो और वह सब करो, जो एक कुत्ते से अपेक्षित है और सच में ही ऐसा करो! इसे लगातार सात दिनों तक करो. इससे मदद मिलेगी.
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