सृजनात्मकता
दुख के लिए किसी प्रतिभा की आवश्यकता नहीं होती कोई भी इसे कर सकता है, सुख के लिए योग्यता, प्रतिभा, और सृजनात्मकता की आवश्यकता होती है.
आचार्य रजनीश ओशो |
केवल सृजनात्मक व्यक्ति ही प्रसन्न होते हैं. इस बात को तुम्हारे ह्रदय में गहरे उतर जाने दो: केवल सृजनात्मक व्यक्ति ही प्रसन्न होते हैं.
प्रसन्नता सृजनात्मकता की ही एक उपज है. किसी भी चीज का सर्जन करो, तुम प्रसन्नता का अनुभव करोगे. तुम एक बगीचे का निर्माण करो, और बगीचे में कोपलें लगने दो, तब तुम देखोगे कि तुम्हारे अंदर भी कोपल उगने लगेंगी. किसी पेंटिग का निर्माण करो तब तुम्हारे अंदर भी पेंटिग के निर्माण के साथ-साथ कुछ निर्मिंत होने लगेगा.
और जैसे ही पेंटिग समाप्त होने को हो और जैसे ही तुम उसमें आखिरी रंग भरते हो, तब तुम देखोगे कि अब तुम वही व्यक्ति नहीं रहे. तब तुम उस आखिरी रंग में वह भी भर रहे हो, जो तुम्हारे अंदर नितांत नया है. कोई कविता लिखो, कोई गीत गुनगुनाओ, नृत्य में डूबो, और फिर देखो: तुम प्रसन्न होने लगे. अस्तित्व ने तुम्हें सृजनात्मक होने का मात्र एक अवसर दिया है: जीवन केवल सृजनात्मक होने का ही अवसर है.
अगर तुम सृजनात्मक हो, तुम प्रसन्न रहोगे. अगर तुम किसी पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ना चाहते हो, तब यह बहुत ही कठिन है. और जब तुम पहाड़ी की चोटी पर पहुंचते हो और तुम लेट जाते हो, बादलों के साथ फुसफुसाते हुए, आकाश को देखते हुए, आनंद जो तुम्हारे ह्रदय में भर जाता है-वही आनंद तुम्हें तब आता है, जब तुम सृजनात्मकता की किसी ऊंचाई पर पहुंचते हो.
प्रसन्न होने के लिए बुद्धिमत्ता की जरूरत है, और लोगों को बुद्धिहीन होने को ही शिक्षित किया गया है. समाज हमारी बुद्धिमत्ता को खिलने नहीं देना चाहता. समाज को बुद्धिमत्ता की आवश्यकता ही नहीं है, वास्तव में उसे बुद्धिमत्ता से डर लगता है. समाज को मूर्ख लोगों की जरूरत होती है. क्यों? क्योंकि मूखरे को नियंत्रित किया जा सकता है.
और यह जरूरी नहीं कि बुद्धिमान व्यक्ति आज्ञाकारी हो, वे आज्ञा मान भी सकते हैं और नहीं भी मान सकते. पर बुद्धिहीन व्यक्ति आज्ञा का उलंघन नहीं करता. वह हमेशा से ही नियंत्रण में रहने को तैयार रहता है. बुद्धिहीन व्यक्ति को हमेशा ही किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता होती है, जो उस पर नियंत्रण रख सके. वह चाहता है कि कोई हो, जो उसे निर्देशित कर सके, वह हमेशा ही उस व्यक्ति की खोज में रहता है जो उस पर शासन कर सके.
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