भावना

Last Updated 19 Jul 2017 04:38:16 AM IST

आपको समझना होगा कि कोई भी इंसान गुस्सैल नहीं होता, कोई भी इंसान कष्ट में या आनंद में नहीं होता, कोई इंसान प्रेम में या भक्ति में नहीं होता, लेकिन वह खुद को इनमें से किसी में भी विकसित कर सकता है.


धर्माचार्य जग्गी वासुदेव

अगर आप चाहें तो आप गुस्सैल हो सकते हैं, प्रेमपूर्ण हो सकते हैं, शांत हो सकते हैं या भक्त हो सकते हैं. भक्ति की अवस्था में आने का मतलब है कि आप अपने भावों को एक ऐसी स्थिति तक ले आए, जहां उनकी मिठास बाहरी परिस्थितियों की वजह से खो नहीं सकती.

जब आप किसी को प्रेम करते हैं तो आपके भाव मीठे हो जाते हैं. लेकिन कल वही शख्स आपके साथ कुछ बुरा कर दे तो आपके भाव कड़वे, बेहद कड़वे हो जाएंगे. भक्ति का मतलब होता है कि आपने अपने भावों को ऐसा बना लिया है कि कोई भी चीज उन्हें बिगाड़ नहीं सकती. भक्ति है तो कोई और आपके भावों में उथलपुथल नहीं मचा सकता.

अपने भावों में आपने मिठास का एक खास पहलू घोल दिया है, जिसे बाहरी स्थितियां चुरा नहीं सकतीं. तो भक्ति का संबंध किसी देवता या भगवान से ही हो, ऐसा बिल्कुल जरूरी नहीं है. अपने भीतर भक्तिभाव जगाने के लिए आप किसी इंसान, किसी वस्तु, किसी आकार या किसी देवता का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन भक्ति आपकी ही है. अब सवाल है कि क्या यह मेरे भीतर है? यह किसी के भीतर नहीं है, लेकिन हर कोई इसे पा सकता है.

जैसे अभी आप गुस्से में नहीं है, लेकिन अगर आप चाहें तो गुस्से में आ सकते हैं. हो सकता है, अभी आप प्रेममय न हों, लेकिन चाहें तो हो सकते हैं. इसी तरह अभी आप भक्तिमय नहीं हैं, लेकिन चाहें तो हो सकते हैं. शरीर, विचार, भाव और ऊर्जा में से भावना एक ऐसी चीज है, जिसे लोग बिना किसी विशेष कोशिश के तीव्रता के ऊंचे स्तर तक ले जा सकते हैं.

यहां तक कि छोटा सा बच्चा भी बहुत गुस्सा, बहुत चिड़िचड़ा या बहुत प्रेममय हो सकता है और अपनी इन भावनाओं को बहुत तीव्र बना सकता है. शरीर को तीव्र बनाने के लिए आपको बहुत मेहनत करनी होगी. मन को तीव्र बनाने के लिए भी आपको जबरदस्त काम करना होगा. ऊर्जा को भी तीव्रता की ऊंचाई तक ले जाने के लिए आपको काफी कोशिशें करनी होंगी, लेकिन भावना ऐसी चीज है, जिसे तीव्रता की उच्चतम अवस्था में पहुंचाने के लिए अधिकतर लोगों को बहुत ज्यादा कोशिश करने की आवश्यकता नहीं होती.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment