प्रेम मांग नहीं है
प्रेम की मांग कभी मत करो, प्रेम अपने आप आएगा. तुम प्रेम दोगे, वह आएगा और आएगा. वह देने से बढ़ता है.
![]() आचार्य रजनीश ओशो |
जब हम किसी से कहते हैं, आई लव यू, तो दरअसल हम किस बारे में बात कर रहे होते हैं? इन शब्दों के साथ हमारी कौन सी मांग और उम्मीदें, कौन सी अपेक्षाएं और सपने जुड़े हुए हैं. तुम्हारे जीवन में सच्चे प्रेम की रचना कैसे हो सकती है?
तुम जिसे प्रेम कहते हो, दरअसल वो प्रेम नहीं है. जिसे तुम प्रेम कहते हो, वह और कुछ भी हो सकता है, पर वह प्रेम तो नहीं ही है. हो सकता है कि वह सेक्स हो. हो सकता है कि वह लालच हो. हो सकता है कि वह अकेलापन हो. वह निर्भरता भी हो सकता है. खुद को दूसरे का मालिक समझने की प्रवृत्ति भी हो सकती है.
वह और कुछ भी हो सकता है, पर वह प्रेम नहीं है. प्रेम दूसरे का स्वामी बनने की प्रवृत्ति नहीं रखता. प्रेम का किसी अन्य से लेना-देना होता ही नहीं है. वह तो तुम्हारे अस्तित्व की एक स्थिति है. प्रेम कोई संबंध भी नहीं है, हो सकता है यह संबंध बन जाए, पर प्रेम अपने आप में कोई संबंध नहीं होता. संबंध हो सकता है, पर प्रेम उसमें सीमित नहीं होता. वह तो उससे कहीं अधिक है.
प्रेम अस्तित्व की एक स्थिति है. जब वह संबंध होता है, तो प्रेम नहीं हो सकता. क्योंकि संबंध तो दो से मिलकर बनता है. और जब दो अहम होंगे तो लगातार टकराव होना लाजमी होगा. इसलिए जिसे तुम प्रेम कहते हो, वह तो सतत संघर्ष का नाम है. प्रेम शायद ही कभी प्रवाहित होता हो. तकरीबन हर समय अहंकार के घोड़े की सवारी ही चलती रहती है.
तुम दूसरे को अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करते हो और दूसरा तुम्हें अपने हिसाब से. तुम दूसरे पर कब्जा करना चाहते हो और दूसरा तुम पर कब्जा करना चाहता है. यह तो राजनीति है, प्रेम नहीं. यह ताकत का एक खेल है. यही कारण है की प्रेम से इतना दुख उपजता है. अगर वो प्रेम होता, तो दुनिया स्वर्ग बन चुकी होती, जो कि वह नहीं है.
जो व्यक्ति प्रेम को जानता है वह आनंदमग्न रहता है, बिना किसी शर्त के. उसके वजूद के साथ जो होता रहे, उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं चाहता हूं कि तुम्हारा प्रेम फैले, बढ़े ताकि प्रेम की ऊर्जा तुम पर छा जाए. जब ऐसा होगा, तब प्रेम निर्देशित नहीं होगा. तब वह सांस लेने की तरह होगा. तुम जहां भी जाओगे, तुम सांस लोगे. एक बात याद रखो, व्यक्ति को प्रेममय होना होगा. तुम्हें इसके लिए चिंतित होने की जरूरत नहीं है कि दूसरा बदले में प्रेम करता है कि नहीं.
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