मौन हो जाओ
जवान रहना है तो मौन हो जाओ? अल्बर्ट आइंस्टीन ने खोज की कि गुरुत्वाकर्षण के बाहर तुम्हारी उम्र बढ़नी रुक जाती है.
आचार्य रजनीश ओशो |
आदमी दूर किसी ग्रह पर जाए और उसे वहां तक पहुंचने में तीस साल लगे और फिर तीस साल में नीचे आए, और जब उसने पृथ्वी को छोड़ा था, उसकी उम्र तीस साल थी, तब तुम सोचो कि जब वह पुन: आए तब वह नब्बे साल का होगा, तो तुम गलत हो, वह अब भी तीस साल का ही होगा. जिस क्षण तुम गुरुत्वाकर्षण के बाहर जाते हो, उम्र की प्रक्रिया रुक जाती है.
उम्र बढ़ रही है तुम्हारे शरीर पर एक निश्चित दबाव के कारण. जमीन लगातार तुम्हें खींच रही है और तुम इस खिंचाव से लड़ रहे हो. तुम्हारी ऊर्जा इस खींच रही है और तुम इस खिंचाव से लड़ रहे हो. परंतु गुरुत्वाकर्षण के बाहर होने की अनुभूति ध्यान में भी पाई जा सकती है-ऐसा होता है. और यह कई लोगों को भटका देती है. अपनी बंद आंखों के साथ जब तुम पूरी तरह से मौन हो तुम गुरुत्वाकर्षण के बाहर हो. परंतु मात्र तुम्हारा मौन गुरुत्वाकर्षण के बाहर है, तुम्हारा शरीर नहीं.
परंतु उस क्षण में जब तुम अपने मौन से एकाकार होते हो, महसूस करते हो कि तुम ऊपर उठ रहे हो. बिना आंखें खोले तुम्हें लगेगा कि यह मात्र लगता ही नहीं बल्कि तुम्हारा शरीर मौन गुरुत्वाकर्षण के बाहर है-एक सच्चा अनुभव है. परंतु अभी भी तुम शरीर के साथ एकाकार हो. तुम महसूस करते हो कि तुम्हारा शरीर उठ रहा है. आंख खोलोगे तो पाओगे कि तुम उसी आसन में जमीन पर बैठे हो.
ध्यान एक होश भी है, और हमें जमीन की गुरुत्वाकषर्ण हर समय अपनी और खींचे जाता है. यह खिंचाव ही शरीर की उम्र तय करता और झुकाता जाता है. क्यों इसका कारण हमारा शरीर के प्रति बेहोशी है. और ध्यान हमें सजग करता है. हमारी सोई हुई तंद्रा को तोड़ता है. हम दिन भर जो काम करते हैं, बेहोशी में ही करते हैं. अगर उनके प्रति हम सजग हो जाएं तो जो हमारी ऊर्जा कार्य की गति में बरबाद होती है.
वह नहीं होगी. उल्टा हम अधिक ऊर्जावान महसूस करेंगे. जब हम होश में भर कर चलते हैं तो हमारे कदम जमीन पर तो पड़ते हैं. पर जमीन उन्हें खींच नहीं पाती. लगता है हम हवा में उड़ रहे हैं. यही क्रिया आप नाचते हुए भी महसूस कर सकते है. जैसे-जैसे साधक का होश बढ़ता जाएगा. उसकी कार्य क्षमता बढ़ती जाएगी. थकावट भी महसूस नहीं होगी. आप किसी भी साधक को देख ले वह अपनी उम्र से कम लगेगा. यही राज है आइंस्टीन के गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का.
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