24 जनवरी को दंडाधिकारी शनि का मकर राशि में प्रवेश, जानें किन राशियों पर होगा असर

Last Updated 23 Jan 2020 12:21:59 PM IST

विदित हो कि शुक्रवार 24 जनवरी 2020 ई. को रात्रि में 2:16 पर दंडाधिकारी शनि अपनी राशि मकर में प्रवेश कर रहा है। मकर राशि में शनि का प्रवेश ढाई वर्ष के लिए हो रहा है।


मकर राशि में शनि का प्रभाव अनेक दृष्टिकोण से मायने रखने वाला है। एक ओर यह जहां राजनीतिक  उथल-पुथल की स्थिति उत्पन्न करेगा, वहीं दूसरी ओर देश को आर्थिक दृष्टिकोण से समृद्धि एवं मजबूत भी बनाएगा। मकर में प्रवेश के साथ ही शनि मानव पर अपना पूर्ण प्रभाव भी अवश्य डालेंगे। नौ ग्रहों में शनि को दंडाधिकारी का पद दिया गया है, इसलिए जो भी जातक अनैतिक काम करेंगे उन्हें शनि द्वारा दंड अवश्य प्राप्त होगा।

29.5 वर्षो में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है शनि : सूर्य से 88,00,60,000 मील दूर स्थित शनि ग्रह का व्यास 71000 मील है। इसके तीन वलय हैं, जो छल्ले की तरह इसे चारों ओर से घेरे रहते हैं और इन छल्लो की मोटाई कहीं 20 कहीं 30 और कहीं 40 मील होती है। यह 29.5 वर्षो में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। यह अपनी धुरी पर 10 घंटे 12 मिनट में एक चक्कर लगाता है। इसीलिए इसे मंदो कहते हैं। शनि ग्रह का अधिकार जन जंघाओ पर रहता है। शनि एक राशि पर ढाई वर्ष रहता है। यह मकर एवं कुंभ राशि का स्वामी है। इसके अपने नक्षत्र पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद हैं। नपुंसकलिंगी तामस स्वभाव वाला ग्रह है। यह पश्चिम दिशा का स्वामी है।

शनि की अपनी उच्च राशि तुला और नीच राशि मेष है। वृषभ एवं मिथुन इसकी मित्र राशियां तथा कर्क, सिंह और वृश्चिक इसकी शत्रु राशियां हैं। यह बुध के साथ सात्विक, शुक्र के साथ राजस तथा सूर्य एवं चंद्रमा के साथ शत्रुवत व्यवहार करता है। यह अपने स्थान से तीसरे, सातवें तथा दसवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है। शनि की दैनिक गति 8 कला पांच, विकला या 10 घंटा 16 मिनट है। इसका रंग गहरा नीला एवं इसका विमशोत्तरी महादशा का 19 वर्ष का होता है।

शनि आयु, जीवन-मृत्यु का प्रमुख कारक ग्रह : शनि आयु, जीवन-मृत्यु का प्रमुख कारक ग्रह होता है। शनि जीव को संपत्ति एवं विपत्ति देने वाला है। वस्तुत: शनि जीव के प्रारब्ध के व्यवसायों का व्याकरण करता है। यह वह भट्टी है जिसमें सोने को तपाकर उसके कलमश को दूर कर अधिकाधिक मूल्यवान बनाया जाता है। यह जीव के अंत:करण के अहम, उसकी प्रकृति के दोषों को उभारकर उन्हें नष्ट कर देता है।

शनि आयुकारक ग्रह है, अत: शनि जिस भाव में बैठता है उस भाव की आयु की वृद्धि भी करता है एवं घटता भी है। यदि शनि शत्रु राशि का हो तो आयु घटती है जैसे मेष, सिंह एवं वृश्चिक राशि का शनि अष्टम भाव अर्थात मृत्यु स्थान में हो तो व्यक्ति की आयु घटती है और तुला, मकर, कुंभ या वृष राशि का शनि हो तो व्यक्ति की आयु बढ़ेगी। इसी प्रकार जिस भाव में शनि की जैसी स्थिति हो वैसी आयु में घटत- बढ़त हो सकती है। जैसे चतुर्थ भाव अर्थात माता स्थान में शनि शत्रु राशि का हो तो माता अल्पायु होती हैं। सप्तम भाव में हो तो पति की आयु को खतरा रहता है अर्थात पति अल्पायु हो सकता है।

कुछ ग्रह के प्रभाव से शनि अन्य रोगों की उत्पत्ति भी कर देता है जैसे यदि चंद्र लगनाधिपति होकर अष्टम भाव की शत्रु राशि में पड़ा हो और शुक्र तथा शनि अपनी नीच राशि का होकर शत्रु ग्रहों से ग्रसित हो तो भी व्यक्ति को शुगर की एवं पेट की बीमारी होती है। कर्क लग्न वालों को अक्सर ऐसी बीमारी होती है। यदि लग्न सिंह हो वृश्चिक राशि क्रूर ग्रहों शनि राहु से ग्रसित हो और वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल क्रूर ग्रहों के प्रभाव में हो तो व्यक्ति को हर्निया की बीमारी होती है। उस व्यक्ति को पागल कुत्ते के काटने अथवा जहरीले कीड़े के काटने का भय भी बना रहता है। यदि मेष लग्न हो और मृत्यु स्थान में वृश्चिक राशि के चंद्रमा के साथ शनि पड़ा हो तो व्यक्ति को जलोदर की बीमारी होती है। यदि कुंभ लग्न हो अर्थात लग्न का स्वामी शनि प्रथम भाव में, केतु दूसरे भाव में, मंगल चतुर्थ भाव अर्थात सुख स्थान में, शनि सप्तम भाव में, राहु अष्टम भाव में हो तो ऐसे ही व्यक्ति की गुदा का ऑपरेशन होता है। उसकी पत्नी की मृत्यु आग लगने से भी हो सकती है। व्यक्ति स्वयं भी आवारा प्रवृत्ति का होता है। यदि मृत्यु स्थान में शनि एवं लगनाधिपति एक साथ हो तथा मंगल  की दृष्टि शनि पर हो तो भी जलोदर की बीमारी होती है। यदि सप्तम स्थान अर्थात पत्नी स्थान का स्वामी बुध शनि के प्रभाव में हो तथा शुक्र अपनी नीच राशि कन्या का हो और चंद्रमा भी कमजोर हो तो व्यक्ति नपुंसक अथवा हीनभावना का शिकार होता है।

तुला और वृष राशि वालों की रहेगी चांदी : कुंडली में द्वादश भाव पर शनि का शुभ अथवा अशुभ प्रभाव भी पड़ेगा। इसी प्रकार द्वादश राशियों पर भी शनि का अपना प्रभाव देखा जाएगा। आइए जानते हैं, इन राशियों पर शनि का क्या प्रभाव अगले ढाई वर्ष तक रहने वाला है। शनि का सबसे उत्तम प्रभाव मकर, कुंभ एवं मीन राशि पर रहेगा। तुला एवं वृष राशि अथवा लग्न वालों की चांदी रहेगी। कर्क, कन्या वृश्चिक एवं धनु राशि वालों के लिए शनि कष्टकारी भी रहेगा। शेष राशि वालों के लिए सामान्य सुख देने वाला रहेगा। शनि के निदान के लिए एक डिब्बी काजल मिट्टी में दबाना श्रेयस्कर रहेगा। शनि ज्यादा अरिष्ट का सूचक बन जाए तो शनि की वैदिक ढंग से शांति कराकर शनि निवारण यंत्र धारण करना श्रेष्ठ एवं सुखद रहेगा।

पंडित प्रसाद दीक्षित
ज्योतिषाचार्य एवं पूर्व ट्रस्टी श्री काशी विनाथ मंदिर वाराणसी


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