कॉरिडोर : रिश्तों की कितनी मजबूत डोर?

Last Updated 10 Nov 2019 10:17:49 AM IST

जज्बातों के अलाव की हल्की सी गरमाहट, भावनाओं के समुद्र की लहरों से किनारे पर आया खारापन, सद्भावना की खीर की फीकी मिठास और एक आत्मा के दो भौतिक अस्तित्व में सुलगी शंका की आग से निकली तेज आंच..इनसे न तो कभी कोई संतुष्ट हुआ है और न ही होगा।


हिंदुस्तान और पाकिस्तान के रिश्तों में भी व्यक्तिगत हित, दूसरे का अहित और दुश्मनी की ऐसी ही प्रतिकूलता है। रिश्तों पर जमी बर्फ  को गरमाहट का इंतजार था, लेकिन श्रद्धा की अंगीठी से जिस बर्फ को पिघलाने की कोशिश हुई, उसका प्रभाव भी पारस्परिक संबंधों में प्रतिकूल ही नजर आ रहा है। गुरु  नानकदेव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर उमड़ी श्रद्धा ने एक ऐसा रास्ता बनाया है, जो हिंदुस्तान के पंजाब और पाकिस्तान के पंजाब को सीधे जोड़ता है। लेकिन यह करतारपुर साहिब कॉरिडोर भी आशंकाओं में घिर गया।

करतारपुर कॉरिडोर की शुरुआत धार्मिंक और सामाजिक नजरिए से यकीनन बड़ी राहत की बात है। करतारपुर साहिब में ही सिखों के पहले गुरु नानक देव अंतर्ध्यान हुए थे और इसी वजह से सिखों में इस स्थान को लेकर गहरी आस्था है। बंटवारे के बाद करतारपुर साहिब पाकिस्तान के हिस्से में चला गया था, जिससे भारतीय सिखों के यहां बेरोकटोक आने-जाने पर पाबंदी लग गई थी। आजादी के बाद से ही भारत का सिख समुदाय यहां वीजा-फ्री एंट्री की मांग कर रहा था और अब कॉरिडोर खुल जाने से उसकी 70 साल से भी ज्यादा पुरानी चिंता खत्म हो गई है। लेकिन इस कॉरिडोर के खुलने से भारत सरकार के सामने एक नई चिंता खड़ी हो गई है। इस नई शुरु आत के जश्न के नाम पर पाकिस्तान की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है। चार मिनट लंबे इस वीडियो में कुछ सिख श्रद्धालु एक गुरुद्वारे की ओर जाते दिख रहे हैं और उनके पीछे एक पोस्टर है जिस पर खालिस्तान 2020 लिखा है। वीडियो में खालिस्तानी अलगाववादी जरनैल सिंह भिंडरावाले, मेजर जनरल (निष्कासित) शाबेग सिंह और अमरीक सिंह खालसा को भी दिखाया गया है।

ये सभी जानते हैं कि भिंडरावाले दमदमी टकसाल संगठन का मुखिया था। इस संगठन ने सिखों के लिए एक अलग देश की मांग को लेकर हिंसक आंदोलन चलाया था। अमरीक सिंह खालसा भी इसी आंदोलन से जुड़ा था, जबकि शाबेग सिंह भी बाद में भिंडरावाले से जुड़ गया था। ये तीनों ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए थे, लेकिन पंजाब में आज भी वे अलगाववाद और आतंक के पोस्टर ब्वॉय के रूप में जाने जाते हैं। ऐसे मुबारक मौके पर इस वीडियो के सामने आने से कॉरिडोर खोले जाने के लिए पाकिस्तान की ‘आगे बढ़कर दी गई रजामंदी’ शक के घेरे में आ गई है। आशंका है कि कॉरिडोर खोलने की आड़ में पाकिस्तान उस खालिस्तान आंदोलन को फिर खड़ा करने की साजिश रच रहा है, जिसकी वजह से पंजाब 70 और 80 के दशक में आतंकवाद की आग में झुलसा था और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी समेत हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।

पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और जर्मनी जैसे देशों में खालिस्तानी ताकतों को बढ़ावा देने में जुटा है। समझा जा रहा है कि ऑपरेशन इंडिया इसी कोशिश का एक्सटेंशन हो सकता है। पाकिस्तान के इस खतरनाक मंसूबे की वजह भी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान के लिए कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। एक-के-बाद-एक सर्जिकल स्ट्राइक ने पीओके में आतंकी ठिकानों को रौंदने और आतंकियों के दुस्साहस को धूल में मिलाने का काम किया है। रही-सही कसर जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटा देने से पूरी हो गई है।

नरेन्द्र मोदी सरकार के इन कदमों से बौखलाया पाकिस्तान परमाणु हमले की बात भी करने लगा था। कश्मीर पर दुनिया-भर से मिली लताड़ ने उसकी इस बौखलाहट को और बढ़ा दिया है। इसलिए माना जा रहा है कि भारत में दहशतगर्दी फैलाने का जो मंसूबा पाकिस्तान को अब कश्मीर में पूरा होता नहीं दिख रहा है, उसे वह खालिस्तान आंदोलन को हवा देकर पंजाब के जरिए पूरा करना चाहता है। कॉरिडोर खोले जाने की प्रक्रिया की शुरु आत से ही पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह इस अंदेशे का इशारा करते रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों का भी मानना है कि आज नहीं तो कल, पाकिस्तान अपना असली चेहरा जरूर दिखाएगा। आशंका है कि कॉरिडोर के रास्ते पाकिस्तान श्रद्धालुओं के वेश में दहशतगर्दों की भारत में घुसपैठ करवा सकता है। पिछले दिनों पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व अधिकारी असलम बेग का कॉरिडोर के जरिए भारत में जेहादी भेजने की बात कहना भी पाकिस्तान की नापाक मंशा पर मुहर लगाता है।

सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में नरोवाल जिले में आतंकियों को ट्रेनिंग देने का काम शुरू हो गया है। करतारपुर साहिब नरोवाल जिले में ही आता है। पिछले दिनों पंजाब में पाकिस्तानी ड्रोन से हथियारों की तस्करी के तार भी इस साजिश से जुड़ते दिख रहे हैं। करतारपुर की आड़ में नफरत फैलाने का पाकिस्तानी एजेंडा एक और सबूत से पुख्ता होता है। वीडियो के बाद पाकिस्तान में एक पोस्टर भी सामने आया है जिसके जरिए भारत में सिखों को भड़काने की कोशिश की गई है। पोस्टर की इबारत गुरु मुखी, उर्दू और अंग्रेजी में है, जिसका मजमून ये है कि 1971 में भारतीय एयरफोर्स ने गुरुद्वारे को तबाह करने के मंसूबे से यहां बम बरसाए थे। खुशकिस्मती से ये बम श्री क्रू साहिब यानी पवित्र कुएं में गिरे, जिससे दरबार साहिब को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

कोई शको-शुबहा बचा भी था, तो उसे पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद के हालिया खुलासे ने पूरा कर दिया। रशीद का कहना है कि ये कॉरिडोर कश्मीर की आजादी के पाकिस्तान के सपने का जरिया बनेगा और इसका खोला जाना पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल बाजवा के कश्मीर प्लान की बड़ी कामयाबी है। बेशक शेख रशीद अपने बयानों को लेकर पाकिस्तान की इंटरनेशनल फजीहत की वजह बनते रहे हैं, लेकिन उनके इस खुलासे को आसानी से खारिज नहीं किया जा सकता। यह बात जोर-शोर से कही जा रही है कि मुफिलसी और बेईमान सियासत वाले पाक के लिए कॉरिडोर खोलना कोई नेकनीयत नहीं, बल्कि उसकी आर्थिक कंगाली को दूर करने वाला बिजनेस है। भारत से करतारपुर आने वाले श्रद्धालुओं के जरिए मोटी कमाई पर उसकी नजर है। इसके साथ ही पाकिस्तान उस इज्जत को भी दोबारा हासिल करना चाहता है, जो अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वह कब का गंवा चुका है। भारत से संबंध सुधारने का ये दिखावा वि समुदाय को गुमराह करने की कोशिश भी हो सकती है, जिससे उसे दोबारा मुख्यधारा में आने का मौका मिल सके।

वैसे भी पीठ में खंजर घोंपना पाकिस्तान की पुरानी फितरत रही है। इसका इतिहास जितना पुराना है, फेहरिस्त उतनी ही लंबी। आमने-सामने की तीन लड़ाइयों के साथ ही इस बात को भी कैसे भुलाया जा सकता है कि जब सद्भावना दिखाते हुए हम ढोल-बाजे के साथ बस में लाहौर तक गए, तो बदले में पाकिस्तान दबे-पांव करगिल में घुस आया। जब हम उन्हें ईद की बधाई दे रहे थे, तो बदले में हमें पठानकोट और उरी का हमला मिला। ये भी याद रखना होगा कि जो पाकिस्तान एक तरफ चेहरे पर मजबूरी लिए बातचीत की गुहार लगाता है, वहीं आतंक की नकाब ओढ़कर पुलवामा पर प्रहार भी करता है। करतारपुर में भी भारत को यही सिला मिलेगा ये कहना फिलहाल जल्दबाजी हो सकती है, लेकिन पाकिस्तान के काले अतीत को देखते हुए इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता। अफसोस यह कि जो गलियारा संबंध सुधार का हाई-वे बन सकता था, उसे भी धर्म की पाकीजगी पर दांव खेलकर
पाक ने अपने नापाक खेल का मैदान बना दिया है।
 

उपेन्द्र राय


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment