Internationaql Yoga Day 2025: दुनिया ने जाना योग का महत्त्व
Internationaql Yoga Day 2025: आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। योग के जरिए जिंदगी कैसे संतुलित और सुखद बन सकती है, योग को अपनाने के बाद दुनिया ने बेहतर तरीके से समझा है।
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस आयोजन के बाद दुनिया के देशों के नजरिए में कई बदलाव देखने को मिले हैं। दिमाग और शरीर, प्रति और इंसान, सेहत और संयम की एकता (योग) कराने का कार्य योग के जरिए आगे बढ़ रहा है। जिस तरह से इंसान ने अपने स्वार्थ में कुदरत को कई तरह से असंतुलित करने का कार्य किए हैं और उससे ग्लोबलवार्मिग, सुनामी, ग्रीन हाउस गैसों का बढ़ता विनाकारी असर, ऋतुचक्र में बदलाव और जीव-जंतुओं की गड़बड़ाती सेहत ने मानव सभ्यता के सामने सवाल खड़े किए हैं, ऐसे में योग का अपरिग्रह, संयम, शाकाहार और सुचिता का संदेश व महत्त्व बढ़ गया है।
आज तमाम समस्याओं का समाधान योग के जरिए तमाम देशों में होने लगे हैं। सबसे बड़ी बात यह है लोगों में वैदिक परंपरा के प्रति विश्वास पुख्ता हुआ है। 27 दिसम्बर 2014 में पहली बार जब भारत द्वारा ‘विश्व योग दिवस’ मनाने के प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा मंजूरी मिली और 21 जून 2015 से जब पहली बार योग दिवस मनाया गया, तब से लेकर अब तक दुनिया में योग का विस्तार दो सौ से अधिक देशों में हुआ। भारत की इस प्राचीन आध्यात्मिक परंपरा को आज दुनिया में पहचान बन चुकी है, लेकिन योग उतना पुराना है जितना की वेद। वेद में योग के बारे में विस्तार से जिक्र किया गया है। जिसके बारे में ऋषि पातंजलि ने योगदर्शन में उसके शारीरिक, प्राणिक, मानसिक और आत्मिक संबंधों, उपयोगिता और असर को दर्शाया है। वेद के मुताबिक तप के जरिए सिद्धियां हासिल करने की बात हो या साधना के जरिए आत्मा-परमात्मा के मिलन की बात हो, योग ही उसका आधार है।
दरअसल, योग दुनिया में आसन, प्राणायाम, व्यायाम, ध्यान, तक सीमित नहीं रह गया है, यह मंथन, विचार-विमर्श, सांस्कृतिक आयोजन और आनंद का उत्सव भी बन गया है। चीन, जापान, अमेरिका, जर्मनी और दूसरे देशों में इसकी लोकप्रियता घर-घर तक हो चुकी है। आज दुनिया में आपसी प्रतिद्वंद्विता का दौर चल रहा है। रूस-यूक्रेन, ईरान-इजरायल आपस में उलझे हुए हैं। इससे दुनिया पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। ऐसे दौर में योग के विबंधुत्व का मानवता के कल्याण का संदेश, मकसद व महत्त्व और भी बढ़ जाता है। योग का दुनिया में फैलाव के बाद इसके शरीर, मन, विचार, समाज और आपसी मेल-मिलाप के बेहतरीन असर का परिणाम यह हुआ है कि करोड़ों लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है। जीवनशैली में आया बदलाव दुनिया की तमाम समस्याओं को कम करने में मददगार साबित हुआ है। भारतीय परंपरा में योग के अनगिनत स्वरूप देखने में आते हैं।
क्रियायोग, राजयोग, सहजयोग के अलावा मंत्रयोग, हठयोग लययोग योग के ही अलग-अलग स्वरूप हैं। इनमें एक बात सामान्य है-सभी शरीर, मन, आत्मा, प्रति और ईश्वर के साथ एकता स्थापित करने की बात करते हैं। इसलिए दुनिया में जो लोग आत्मा, ईश्वर या तप वगैरह में यकीन नहीं करते वे भी अपनी शरीर, मन, इंद्रियों और विचारों को बेहतर बनाने के लिए योगाभ्यास करते हैं। इसी तरह जो लोग हिन्दू नहीं हैं वे भी सेहतमंद रहने और जीवनशैली में संतुलन बनाने के लिए योग करते हैं। हालांकि लोगों ने अपने मुताबिक मनमाने तरीके से योग के नियम के खिलाफ जाकर इसका अभ्यास करना शुरू कर दिया और उसके विपरीत असर से भी उन्हें रूबरू होना पड़ा है, लेकिन जो जानकार योग-गुरुओं की देखरेख में योग का अभ्यास करते हैं, उन्हें बेहतर परिणाम मिले हैं। योग दिवस का महत्त्व इसलिए है कि यह उन लोगों को भी जोड़ने का कार्य करता है जो व्यस्तताओं की वजह से सेहतमंद जिंदगी के लिए वक्त नहीं निकाल पाते।
दरअसल, योग आतंरिक जीवन में उत्सव का माहौल बनाने का कार्य करता है। योग का मकसद है ‘सव्रे भवन्तु सुखिन: सव्रे सन्तु निरामया। सव्रे भद्राणि पयन्तु मा कचित् दु:ख भाग भवेत् तो है ही, ‘यत्र विवं भवति एकनीडम्’ भी है। यानी सभी सुखी हों, सभी निरोग हों, सभी एक दूसरे के प्रति बेहतर व्यवहार करें और किसी को दुख का हिस्सा न बनना पड़े। यह योग के जरिए ही संभव है। वैदिक दृष्टि सारे विश्व को एक परिवार मानने की रही है। यह दृष्टि वेद से दुनिया को मिली। योग इस दृष्टि को मूर्तरूप देने का कार्य करता है। आज दुनिया के विकसित और विकासशील देशों में योग का ‘महानाद’ गुंजायमान हो रहा है। और प्रत्येक व्यक्ति को सम्यक्-दृष्टि, सम्यक्-संकल्प और सम्यक्-कर्म करने के लिए प्रेरित कर रहा है। यही वजह है कि अमेरिका, जर्मनी, जापान, फ्रांस और चीन जैसे तमाम देा योग को अपने देश की शिक्षा के पाठ्यक्रमों में ही नहीं शामिल कर रहे हैं बल्कि एक लोगों को सेहतमंद रहने के लिए अभियान के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं।
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