कोरोना : दस्तक हो सकती है घातक
कोरोना एक बार फिर से पैर फैल रहा है। कोरोना वायरस के मामले इन दिनों भारत, हांगकांग और सिंगापुर में तेजी से बढ़ रहे हैं।
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तेजी से बढ़ते कोरोना के आंकड़ों ने एक बार फिर से पूरी दुनिया को चिंतित कर दिया है। भारत में दिल्ली, केरल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।
भारत के करीब बीस राज्यों में कोरोना के मरीज पाए गए हैं। देश में कोरोना से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या एक हजार पार कर चुकी है। केरल में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार 6 लोगों की मौत हो चुकी है। चीन के वुहान शहर में दिसम्बर, 2019 जन्मा कोरोना दुनिया में तबाही मचा रहा है। यह वायरस सामाजिक-मानसिक रूप से भी खौफ पैदा कर रहा है। लगता है कि वायरस मानव का सहजीवी चुका है।
वायरस के चलते मानव समाज पर कई प्रकार के दबाव बढ़ जाते हैं। वायरस का प्रभाव आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीति पर भी पड़ता है। जब कोई संक्रमण वैश्विक स्तर पर फैलता है, तो उसका असर अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलता है। वायरस से संक्रमित व्यक्तियों को सामाजिक-मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है क्योंकि यह ऐसी बीमारी है जिससे लोग दूरियां बना लेते हैं। यह संक्रमण आपसी मेल मिलाप से बहुत तेजी से फैलता है।
इसका असर रोजगार, कामगारों और बाजारों पर पड़ता है। कार्यबल में गिरावट आती है, जिसका प्रभाव उत्पादन क्षमता पर पड़ता है। काम का दवाब बढ़ता है। बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रकार के कीट-पतंगों और पशु-पक्षियों से संक्रमण पनप रहे हैं, जो मनुष्यों के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं। कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंताएं बनी हुई हैं। आखिर, क्या कारण है कि वायरस खत्म होने की बजाय बढ़ रहे हैं। बढ़ते वायरस की घटनाओं ने स्पष्ट कर दिया है कि आने वाले समय में मानव विनाशक वायरस ही होगा।
समाचारों के अनुसार वैज्ञानिक जैविक हथियारों के रूप में विभिन्न वायरसों को लैब में तैयार कर रहे हैं। कोविड-19, इबोला वायरस, जीका, पोलियो जैसे वायरस ने दुनिया को हिला कर रख दिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा पूर्व में पनपे वायरस को वैश्विक स्वास्थ्य आपदा के रूप में घोषित किया जा चुका है, जिनमें कोविड-19, इबोला वायरस, जीका वायरस तथा पोलियो शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के नये वैरिएंट को लेकर कहा है कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। फिर भी कोरोना के पुराने मंजर को कोई भूल नहीं पाया है।
भारत में कोरोना को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। संक्रमण के प्रारंभिक उपचार के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं में उचित व्यवस्था की गई है। वर्तमान संक्रमण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने प्रयोगशाला परीक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए इलाज के लिए अस्पतालों में सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं। कोरोना जैसे घातक संक्रमण की रोकथाम के लिए सरकार को व्यापक और समन्वित प्रयास करने की जरूरत है। स्वास्थ्य सेवाओं का शहरी क्षेत्रों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी विस्तार और उन्हें सुदृढ़ करना चाहिए। सीमा और यातायात नियंत्रण, निगरानी और अनुसंधान, सामुदायिक भागीदारी, संचार और अंतरराष्ट्रीय सहयोग जैसे कदम उठा कर ही कोरोना वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है। यह न केवल जनता की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि भविष्य में आने वाली संक्रामक बीमारियों के लिए भी एक सबक हो सकता है।
यह भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि मानव में संक्रामक बीमारियों के साथ पशु-पक्षियों में पनप रहे संक्रमणों को भी गंभीरता से लेना होगा। पशु-पक्षियों में पनप रहे संक्रमण को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर सभी देशों को एक होकर ठोस कदम उठाने की जरूरत है क्योंकि पशु-पक्षियों से निर्मिंत वायरस भी मानव के लिए घातक है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को मिल कर सेवा मित्र जैसी पहल करने की जरूरत है। सरकार को ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में घर-घर जाकर संक्रमण के बारे में लोगों को जागरूक करना होगा। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को विभिन्न प्रकार के संक्रमण के प्रसार के पैटर्न और संक्रमण के कारणों की जांच करने के लिए विशेष निगरानी तंत्र स्थापित करना चाहिए। देश-दुनिया में विभिन्न प्रकार के पनप रहे वायरसों के बारे में जागरूकता अभियान शुरू करना होगा। भारत समेत पूरी दुनिया को सर्तक और सजग रहना होगा। जिस तरह से घातक संक्रमण पनप रहे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि इसमें कोई संदेह नहीं है निकट भविष्य वायरस से फैलने वाले संक्रमण ही मानव के सबसे बड़े दुश्मन साबित होंगे।
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