आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस : चुनावी खेल में चीन

Last Updated 11 Apr 2024 12:21:02 PM IST

वैज्ञानिक तकनीक ने एक ओर मनुष्य को सुविधा और समृद्धि दी है, तो वहीं दूसरी ओर असुरक्षा और एक प्रकार से निजता पर हमला भी किया है।


आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस : चुनावी खेल में चीन

दुनिया रोज बदल रही है, और इस बदलती दुनिया में सबसे कठिन है मनुष्य का अपने ऊपर नियंत्रण और दूसरी चीजों के प्रभाव से अपने आप को बचा लेना। संप्रति हमारे देश में संसदीय चुनाव होना है, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चुनाव का इतिहास इस बात की गवाही देता है कि मतदाताओं को प्रभावित करने का काम सिर्फ पार्टियों की विचारधारा, योगदान, नेतृत्व की छवि, भविष्य की कार्ययोजना आदि बातों में अंतर्निहित  होता रहा है।

विगत दिनों माइक्रोसॉफ्ट ने एक चौंकाने वाली चेतावनी दी है। उसका कहना है कि चीन आर्टििफशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम मेधा) द्वारा चुनाव को प्रभावित कर सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा और प्रतिष्ठित लोकतंत्र है। निष्पक्षता एवं पारदर्शिता भारतीय लोकतंत्र की आत्मा हैं। भारत में संसदीय चुनाव 543 सीटों के लिए सात चरण में प्रस्तावित है। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को और आखिरी चरण की वोटिंग एक जून को होना तय है। चार जून को 16वीं लोक सभा चुनाव का परिणाम आएगा।

माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी निस्संदेह भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। भारत-चीन संबंध सदैव विवादित और तनावपूर्ण रहे हैं। भारत की लगातार कोशिशों के बावजूद चीन सीमा पर अतिक्रमण की कोशिश करता रहा है। चीन की वैिक साख पर भी प्रश्न चिह्न लगते रहे हैं। दुनिया के अधिकतर देशों ने वैिक आपदा कोविड के लिए चीन को ही दोषी माना है। माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी का अर्थ है चीन आर्टििफशियल इंटेलिजेंस द्वारा वोटरों का राजनीतिक पार्टयिों की तरफ झुकाव बदलने या उन्हें भटकाने की कोशिश करेगा। सोशल मीडिया पर भी ऐसा तथ्य पोस्ट करेगा, जिससे चुनावों के दौरान जनता की राय चीन के पक्ष में मुखरित होगी।

माइक्रोसॉफ्ट टीम के मुताबिक, चीन समर्थित साइबर संगठन नॉर्थ कोरिया के साथ मिल कर 2024 में होने वाले कई देशों के चुनावों को निशाना बनाने वाले हैं। चीन भारत को ही नहीं, बल्कि यही हथकंडा अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भी इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है। यह वर्ष दुनिया के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे महत्त्वपूर्ण वर्ष साबित होने जा रहा है। इस वर्ष दुनिया के 63 देशों (और यूरोपीय यूनियन) में राष्ट्रपति और संसदीय चुनाव होंगे जिनमें दुनिया की कुल आबादी का 49% हिस्सा मताधिकार का प्रयोग करेगा।

माइक्रोसॉफ्ट ने अपने बयान में कहा, है ‘इस साल दुनिया भर में, विशेष रूप से भारत, दक्षिण कोरिया और अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं। हमारा आकलन है कि चीन अपने हितों को फायदा पहुंचाने वाला आर्टििफशियल इंटेलिजेंस जनरेटेड कंटेंट बनाएगा और लोगों तक इसे पहुंचाएगा।’ ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी दी है कि चीन की इस हरकत का प्रभाव आने वाले समय में बढ़ेगा। माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि आर्टििफशियल इंटेलिजेंस जनरेटेड कंटेंट का तुरंत प्रभाव तो कमतर नजर आएगा, लेकिन चीन जिस गति से इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बढ़ा रहा है, उससे आने वाले दिनों में इसका असर और ज्यादा प्रभावी और गंभीर हो सकता है।

टेक्नोलॉजी की कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने कहा है कि ताइवान के चुनाव को प्रभावित करने के लिए चीन ने आर्टििफशियल इंटेलिजेंस द्वारा गलत जानकारियां सोशल मीडिया पर साझा की थीं। इस दौरान स्टॉर्म 1376 (स्पैमौफ्लैज) नाम का चीनी ग्रुप काफी सक्रिय  था। यह ग्रुप नेताओं के फेक ऑडियो और मीम्स बनाता था और इन्हें सोशल मीडिया पर वायरल करता था। इसका उद्देश्य सिर्फ  कुछ उम्मीदवारों को बदनाम करना और मतदाताओं को भ्रमित करना था। इसके बाद भी ताइवान में सत्तारूढ़ पार्टी के नेता और मौजूदा उपराष्ट्रपति विलियम लाई चिंग-ते ने राष्ट्रपति चुनाव जीता था। चीन की कोशिश सफल रही या असफल, यह पूर्णत: सत्यापित नहीं हो पाया है। माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने यह भी कहा है कि इस बात के बहुत कम प्रमाण हैं कि जनता को भ्रमित या प्रभावित करने की चीन की यह कोशिश सफल रही या नहीं। चीन ने ऐसा कुछ अमेरिका में भी करने की कोशिश की है।

इस पूरे संदर्भ को देखने के बाद कहा जा सकता है कि विज्ञान ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है। मानवीय सभ्यता के विकास में विज्ञान के अवदान को कृतज्ञ मन से स्वीकार करना पड़ेगा। सुचना एवं तकनीकी ज्ञान का विस्तार मनुष्य की निजता और सार्वजनिकता, दोनों पर प्रहार कर रहा है। हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां हमारी व्यक्तिगत चीजें भी सार्वजनिकता के मुहाने पर खड़ी हैं। माइक्रोसॉफ्ट की चेतावनी दरअसल, राष्ट्र की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। हमारी आंतरिक और वाह्य सुरक्षा को प्रभावित करने से संबद्ध है। चीन की विस्तारवादी नीतियों का खमियाजा संपूर्ण विश्व भुगत रहा है।

आने वाले दिनों में हमें इस तरह की चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी रूप से और उन्नत होना होगा। भविष्य में यह चुनौती और भी बढ़ेगी। इसलिए हमें आने वाले खतरे की पहचान और परख होनी चाहिए। समस्या की बेहतर परख और विश्लेषण जरूरी है।  भारत सुचना एवं तकनीकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है, समृद्ध है। साइबर खतरों से दुनिया जूझ रही है। आखिर, इतने छल और छदम के बीच मानवीय जीवन कैसे अपनी स्वाभाविकता को बचा पाएगा? क्या हम ऐसे जीवन और समाज की परिकल्पना कर सकते हैं, जो अपनी वास्तविकता में न होकर पूर्णत: कृत्रिम हो। यह सोच ही मनुष्य के सभ्यतागत विनाश की उद्घोषणा है।

विज्ञान की हर कोशिश मनुष्य के जीवन को सरल और सहज बनाने की संकल्पना पर केंद्रित है। दुनिया के देश एक दूसरे पर आरोप- प्रत्यारोप लगाते रहेंगे। आर्टििफशियल इंटेलिजेंस के दुरुपयोग की तुलना में इसके उपयोग और जरूरतों को विस्तार देना जरूरी है। चुनाव आयोग इस संदर्भ में संभावित सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता के साथ लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है। इतने बड़े लोकतंत्र में निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराना बड़ी चुनौती है। यह चुनौती तब और भी बड़ी और विकराल हो जाती है, जब इस तरह की चेतावनियों के बीच चुनाव कराना हो। मनुष्य आशा में जीता है। आशान्वित है कि भारत का समृद्ध और मजबूत लोकतंत्र फिर से  नया इतिहास लिखेगा।

डॉ. मनीष कुमार चौधरी


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