अधिकारों का प्रयोग

Last Updated 09 Jun 2025 03:32:27 PM IST

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के मैच फिक्सिंग के आरोप में लिखे लेख पर चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया दी। चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र में बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में धांधली के दावों को खारिज किया।


कहा कि अनुकूल चुनाव परिणाम न मिलने के बाद चुनाव निकाय को बदनाम करना बेतुका है। गांधी के अनुसार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव लोकतंत्र में धांधली का ब्ल्यूप्रिंट था, जो बिहार में होने वाले चुनाव में भी दोहराया जाएगा। उन्होंने लिखा, मैच फिक्स किए चुनाव लोकतंत्र के लिए जहर हैं। जो पक्ष धोखाधड़ी करता है, वह भले ही जीत जाए मगर इससे लोकतांत्रिक संस्थाएं कमजोर होती हैं और जनता का नतीजों से भरोसा उठ जाता है।

आयोग ने अपने बयान में कहा, कोई भी गलत सूचना न केवल कानून के प्रति अनादर का संकेत है, बल्कि हजारों प्रतिनिधियों को बदनाम और लाखों कर्मचारियों को हतोत्साहित करती है। राहुल ने आयोग के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एक्स पर लिखा-आप संवैधानिक संस्था हैं। मध्यस्थों को बिना हस्ताक्षर वाले, टालमटोल वाला नोट जारी करना गंभीर सवालों का जवाब देने का तरीका नहीं है। हालांकि राहुल को आरोपों के पुख्ता सबूत देने के प्रयास भी करने चाहिए।

महाराष्ट्र के मतदाताओं में 8% की वृद्धि पर कांग्रेस ने उसी वक्त आपत्ति दर्ज की थी। सत्ता पक्ष का कहना है कि चुनाव में करारी हार को विपक्ष गले नहीं उतार पा रहा। इसलिए आरोप गढ़ कर मोदी सरकार को बदनाम करने का काम कर रहा है। चुनाव आयोग संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय होने के बावजूद मोदी सरकार के विभिन्न निर्णयों के बाद कई मौकों पर विवादों में आता रहा है। स्वतंत्र-निष्पक्ष चुनाव का दारोमदार अंतत: आयोग पर होता है।

मगर पूर्व में चुनाव आयुक्त रह चुके सुकुमार सेन, टीएन शेषन और जेएम लिंग्दोह की तरह कोई भी संस्था की प्रतिष्ठा को अक्षुण्ण रखने में सफल नहीं हो सका। बात भाजपा नेताओं के सांप्रदायिक भाषणों की हो, इलेक्टोरल बॉन्ड या वोट संख्या की बजाय प्रतिशत जारी करने की, बार-बार आयोग पर पक्षपाती होने का आरोप लगा जो लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है।

उसे पक्षपाती नहीं होना चाहिए। नियमों की अनदेखी या उपेक्षा पर सभी दलों को फटकार लगाने और जवाबतलबी में संकोच नहीं करना चाहिए। राजनेताओं के तरीके बदल रहे हैं। वे वोट के लोभ में असंवैधानिक और निंदनीय भाषा का इस्तेमाल करते हैं। वोट प्राप्ति के लिए दांव-पेंच करते हैं जिस पर आयोग को कड़ी आपत्ति करनी चाहिए। 



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