हमास-इस्राइल : गहरा रहे युद्ध संकट के बादल

Last Updated 27 Feb 2024 01:17:16 PM IST

हमास-इस्राइल युद्ध पांचवे महीने में प्रवेश कर गया है। इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने पिछले सप्ताह हमास द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम के नवीन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है।


हमास-इस्राइल : गहरा रहे युद्ध संकट के बादल

उन्होंने कहा है कि गाजा के भीतर आखिरी सांस तक की लड़ाई सभी इस्राइली नागरिकों के अंदर है और यह अपने बंधकों के रिहाई तक ‘सम्पूर्ण गाजा पर विजय’ के साथ ही संपन्न होगा। दावा किया जा रहा है कि नेतान्याहू युद्ध के मध्यस्थता समाधान की दिशा में तेजी और आगे बढ़ने के अमेरिकी दबाव को भी अस्वीकार करते हुए, फिलस्तीनी चरमपंथी गतिविधि को नष्ट करने की अपनी प्रतिज्ञा पर जोर दिया है। इस्राइल ने साफ कर दिया है की उसके पास हमास का खात्मा के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

नेतान्याहू के अपने सैन्यबलों को दक्षिण गाजा शहर राफाह में सैन्य अभियान के लिए निर्देश से विस्थापित लोगों की संख्या में हजारों की बढ़ोतरी हुई है। फरवरी के दूसरे सप्ताह में जारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक इस युद्ध में 29000 से अधिक, जिसमें 27000 से अधिक फिलिस्तीनी और 1500 से ज्यादा इस्राइली नागरिक मारे जा चुके हैं। इस युद्ध में न केवल सामान्य नागरिकों की मृत्यु हो रही है बल्कि 85 से अधिक पत्रकारों और 136 से अधिक संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी के सहायता कर्मिंयों की मृत्यु भी शामिल है। इस युद्ध ने न केवल गाजा के क्षेत्रों को नष्ट कर दिया है बल्कि अधिकांश आबादी को बेघर और भयंकर भुखमरी की ओर धकेल दिया है। बड़े पैमाने पर हो रहे जानमाल का नुकसान पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता की लकीर गहरी होती जा रही हैं।

द्वि-राष्ट्र सिद्धांत का समर्थन करने वाला देश जॉर्डन, बढ़ रहे फिलिस्तीनी शरणार्थियों की वजह से अमेरिका पर युद्ध खत्म करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया है। जार्डन के किंग अब्दुल्ला अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन से गाजा में सम्पूर्ण शांति की अपील करते हुए कहा कि राफाह पर इस्राइली हमले निश्चित रूप से एक और मानवीय संकट पैदा करने वाला है। प्रश्न है कि इस्राइल क्यों नहीं युद्धविराम को स्वीकार करना चाहता है। दरअसल, हमास का युद्धविराम को तोड़ने का एक लम्बा इतिहास रहा है। अगर हमास और इस्राइल के 2014 युद्ध को याद करें जिसमें दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी थी, लेकिन हमास ने इसे तोड़ते हुए कई इस्राइली सैनिक मार गिराए और कुछ सैनिक का अपहरण कर के ले गए जिसका शव आज भी हमास के कब्जे में है। यहां तक कि इस्राइल के खिलाफ युद्ध में हमास ईरान समेत तमाम इस्लामिक देशों का मदद लेता आया है।

क्या गारंटी है कि आपनी आदतों से बाज नहीं आने वाला हमास कुछ महीने के बाद फिर से युद्धविराम उल्लंघन नहीं करेगा। सात अक्टूबर को हमास के मौत के दस्तों की क्रूरता जहां बच्चों के सर काट लिए गए, महिलाओं के साथ बलात्कार करके उन्हें विकृत किया गया, बुजुगरे के साथ तमाम लोगों को गोलियों से भून दिया गया, यह दर्शाता है कि आतंकवादी समूह को इस्राइल के साथ समझौता से पुन: संगठित होने का एक अवसर मिल जाएगा। इस्राइल के मन में कहीं-न-कहीं यह बात होगी कि युद्धविराम में देरी से न केवल बंधकों को छुड़ाने में मदद मिलेगी बल्कि युद्धविराम पर सहमति से विशेष रूप से लेबनान में ईरानी समर्थित आतंकी समूह हिजबुल्लाह को एक खतरनाक संदेश जाएगा कि एक छोटा सा चरमपंथी समूह इस्राइल के खिलाफ अकल्पनीय अपराध कर सकता है।

अब समझते हैं कि इस बार हमास ने युद्धविराम की प्रस्ताव क्यों भेजा। एक बात तो स्पष्ट है कि धीरे ही सही इस्राइल की रणनीति ने हमास को गहरे रूप से प्रभावित कर रहा है। इस्राइली सैनिक उत्तरी गाजा में व्यापक तबाही मचाने के बाद अब दक्षिणी गाजा में करवाई कर रहे हैं। हमास ने सोचा नहीं था कि इस बार इस्राइल के साथ युद्ध इतना लंबा खींचेगा। हमास को संगठित होने, युद्ध को आगे बढ़ने, बिखरे लड़ाकुओं को पुनर्गठित करने और भूमिगत सुरंग नेटवर्क को हुए नुकसान का आकलन करने के लिए समय चाहिए होगी। हमास-इस्राइल युद्ध में हुती विद्रोहियों का भी प्रवेश हो चुका है। फिलस्तीनी लोगों के समर्थन के नाम पर हुती चरमपंथी समूह लाल सागर में मालवाहक जहाजों पर हमले तेज करते जा रहे हैं। ये विद्रोही न केवल बैलिस्टिक मिसाइलों से जहाजों पर हमला कर रहे हैं बल्कि इसके लिए ईरान निर्मिंत हमलावर ड्रोन का भी प्रयोग कर रहे है।

ईरान हुतियों का इस्तेमाल इस्राइल के खिलाफ करता आया है क्योकि ईरान एक राष्ट्र के रूप में इस्राइल के अस्तित्व को अस्वीकार करता है। ईरान अमेरिका के करीबी देशों के खिलाफ इस समूह का इस्तमाल करता है। लाल सागर में हो रहे आकर्मण के पीछे यही समीकरण काम कर रही है।  दरअसल, लंबे खींच रहे युद्ध से गाजा में घेराबंदी और मानवीय संकट गहराता जा रहा है। इस युद्ध ने दस लाख से अधिक लोगों को गंभीर खतरे में डाल दिया है। समय के साथ बढ़ रहे गतिरोध के हालात और स्वभाव ने तय कर दिया है कि अब यह संघर्ष न केवल इस्राइल और गाजा तक सीमित रहेगा बल्कि व्यापक संघर्ष के परिणाम के रूप में विश्व पर गहरा प्रभाव छोड़ने वाला है।

शगुन चतुर्वेदी


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