स्पेन : आग से सबक दुनिया के लिए
बीते सप्ताह स्पेन के शहर वैलेंसिया से आगजनी की एक खबर सामने आई जिसने दुनिया भर की बहुमंजिला इमारतों में रहने वालों के बीच सवाल खड़े कर दिए हैं।
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वहां 14 मंजिला एक इमारत में आग लग गई। आग इतनी भयानक थी कि जान बचाने के लिए लोगों ने बिल्डिंग से छलांग तक लगा दी परंतु जिस तरह इस रिहायशी कॉम्प्लेक्स के 140 मकान कुछ ही मिनटों में धू-धू कर राख हुए उसमें इन मकानों में लगे पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग को आग की भयावहता में योगदान देने का दोषी पाया जा रहा है। आज आधुनिकता के नाम पर ऐसे कई उत्पाद देखने को मिलते हैं, जो देखने में सुंदर जरूर होते हैं परंतु क्या वे ऐसी आपदाओं से लड़ने के लिए सक्षम होते हैं?
2009 में स्पेन के शहर वैलेंसिया में बने इस रिहायशी कॉम्प्लेक्स को बनाने वाली कंपनी ने दावा किया था कि इस बिल्डिंग के निर्माण में एक अत्याधुनिक अल्युमीनियम उत्पाद का इस्तेमाल किया गया है जो न सिर्फ देखने में अच्छा लगेगा बल्कि मजबूत भी होगा। वैलेंसिया कॉलेज ऑफ इंडस्ट्रियल एंड टेक्निकल इंजीनियर्स के उपाध्यक्ष एस्तेर पुचाडेस, जिन्होंने एक बार इमारत का निरीक्षण भी किया था, ने मीडिया को बताया कि जब पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग को गर्म किया जाता है तो यह प्लास्टिक की तरह हो जाती है, और इसमें आग लग जाती है। इसके साथ ही बहुमंजिला इमारत होने के चलते तेज हवाओं ने भी आग को भड़काने का काम किया।
उल्लेखनीय है कि जून, 2017 में लंदन के ग्रेनफेल टॉवर में लगी भीषण आग में भी पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग लगी थी, जो 70 से अधिक लोगों की मौत का कारण बनी। उसके बाद से दुनिया भर में इसकी ज्वलनशीलता को कम करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा उपायों के बिना इमारतों में पॉलीयुरेथेन का अब व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता परंतु स्पेन के शहर वैलेंसिया में बने इस रिहायशी कॉम्प्लेक्स में पॉलीयुरेथेन क्लैडिंग का इस्तेमाल इस हिदायत को दिमाग में रख कर हुआ था या नहीं, यह तो जांच का विषय है। लेकिन इस दर्दनाक हादसे ने दुनिया भर में बहुमंजिला इमारतों में रहने या काम करने वालों के मन में यह सवाल जरूर उठा दिया है कि क्या बहुमंजिला इमारतों में आगजनी जैसी आपदाओं से लड़ने के लिए उनकी इमारतें सक्षम हैं? क्या विभिन्न एजेंसियों द्वारा आगजनी जैसी आपदाओं की नियमित जांच होती है?
क्या इन ऊंची इमारतों में लगे अग्निशमन यंत्र जैसे कि फायर एक्सटिंगशर और आग बुझाने वाले पानी के पाइप जैसे उपकरणों आदि की गुणवत्ता और कार्य पद्धति की भी नियमित जांच होती है? क्या समय-समय पर विभिन्न आपदा प्रबंधन एजेंसियां आपदा संबंधित ‘मॉक ड्रिल’ करवाती हैं? क्या स्कूलों में बच्चों को आपदा प्रबंधन एजेंसियों द्वारा आपात स्थिति में संयम बरतने और उस स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण दिया जाता है?
यदि इन सवालों को विदेशों की तुलना में भारत पर उठाएं तो इनमें से अधिकतर सवालों का उत्तर ‘नहीं’ में ही मिलेगा। वैलेंसिया में हुए भयावह हादसे ने एक बार फिर से सिद्ध कर दिया है कि-सावधानी हटी-दुर्घटना घटी। वैलेंसिया की इस इमारत को बनाते समय इसके बिल्डर ने ऐसी क्या लापरवाही की कि इतना बड़ा हादसा हुआ?
वहां के अग्निशमन दल और अन्य आपदा प्रबंधन एजेंसियों ने तमाम बचाव कार्य किए लेकिन उसके बावजूद कई जान गई।
इससे वहां के आपदा प्रबंधन पर भी सवाल उठते हैं। वहीं देखा जाए कि यदि ऐसा हादसा भारत में हुआ होता तो मंजर कुछ और ही होता। आज भारत के कई महानगरों और उनके आसपास वाले छोटे शहरों में बहुमंजिला इमारतों का चलन बढ़ने लगा है परंतु जिस तरह देश की जनसंख्या बढ़ती जा रही है, तो उसके साथ-साथ आपात स्थितियों से निपटने की समस्या भी बढ़ती जा रही है।
मिसाल के तौर पर इन महानगरों और उनसे सटे उपनगरों में बढ़ती ट्रैफिक की समस्या। गैर-कानूनी तरीके से लगने वाली रेहड़ी और फेरी वालों की दुकानें। सड़कों पर गलत ढंग से की जाने वाली पार्किंग आदि। ये कुछ ऐसे प्राथमिक किंतु महत्त्वपूर्ण कारण हैं जो आपात स्थिति में आपदा प्रबंधन में अड़चन बनने का काम करते हैं। इन कारणों से जान-माल का नुकसान बढ़ भी सकता है। एक ओर जब हम विश्वगुरु बनने का ख्वाब देख रहे हैं वहीं इन बुनियादी समस्याओं पर हम शायद ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक कहावत है कि ‘जब जागो-तभी सवेरा’, इसलिए हमें ऐसी दुर्घटनाओं के बाद सचेत होने की जरूरत है।
देश में आपदा प्रबंधन की विभिन्न एजेंसियों को नागरिकों के बीच नियमित रूप से जाकर जागरूकता फैलानी चाहिए। इसके साथ ही सभी नागरिकों को आपात स्थिति में संयम बरतते हुए उससे लड़ने का प्रशिक्षण भी देना चाहिए। इतना ही नहीं, देश भर में मीडिया के विभिन्न माध्यमों से सभी को इस बात से अवगत भी कराना चाहिए कि विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर या बहुमंजिला इमारतों में लगे आपात नियंतण्रयंत्रों का निरीक्षण कैसे किया जाए। यदि किसी भी यंत्र में कोई कमी पाई जाए तो उसकी शिकायत संबंधित एजेंसी या व्यक्ति से तुरंत की जाए।
कुल मिलाकर देखा जाए तो वैलेंसिया में हुआ हादसा दुखद हादसा है।
इस हादसे में न सिर्फ करोड़ों का माली नुकसान हुआ है, बल्कि अमूल्य जान भी गई परंतु क्या हम ऐसे दर्दनाक हादसों से सबक लेंगे? यह एक महत्त्वपूर्ण सवाल है। ऊंची इमारतों या आलीशान शॉपिंग मॉल में जाकर हम काफी प्रसन्न तो होते हैं परंतु क्या हमने कभी यह भी सोचा है कि यदि इन स्थानों पर कोई आपात स्थिति पैदा हो जाए तो हम क्या करेंगे?
क्या हम उस समय अपने स्मार्ट फोन पर गूगल करेंगे कि आपात स्थिति से कैसे निपटा जाए? या हमें पहले से ही दिए गए प्रशिक्षण (यदि मिला हो तो) को याद कर उस स्थिति से निपटना चाहिए? जवाब आपको खुद ही मिल जाएगा। इसलिए सरकार को आपदा प्रबंधन जागरूकता पर विशेष ध्यान देते हुए अभियान चलाने की जरूरत है जिससे कि न सिर्फ जागरूकता फैलेगी, बल्कि आपदा प्रबंधन विभागों में रोजगार भी बढ़ेगा और जान-माल का नुकसान भी बचेगा।
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