सामयिक : ताकि सबका हो विकास
पिछले साल बारह फरवरी को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित यूपी ग्लोबल इंवेस्टर्स सम्मिट को गैर-भाजपा दलों ने गंभीरता से नहीं लिया था, इसकी सफलता पर सवाल उठाए थे। लेकिन आयोजन के एक साल जो आंकड़े आए हैं, वे उत्साहित करते हैं।
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एक साल की छोटी अवधि में ही उत्तर प्रदेश में करीब 10 लाख 11 हजार करोड़ रुपये के अनुमानित निवेश प्रस्ताव आए हैं, जिनके जरिए उम्मीद है कि राज्य में करीब चौदह हजार योजनाएं लागू की जा सकेंगी और 34 लाख रोजगार पैदा होंगे।
उन्नीस फरवरी को लखनऊ में ही ग्राउंड-ब्रेकिंग समारोह यानी जीबीसी में प्रतिष्ठित उद्योगपति, जानी-मानी कंपनियां, विदेशी निवेशक, राजनयिक शामिल हुए। उद्योगपति या कारोबारी किसी राज्य में तभी निवेश करते हैं, जब उनका उस राज्य या माटी पर भरोसा होता है। यह भरोसा आता है, राज्य की कानून व्यवस्था बेहतर होने से। उत्तर प्रदेश की छवि कभी अराजक राज्य के तौर पर रही लेकिन योगी सरकार ने जिस तरह कानून व्यवस्था के मोर्चे को दुरुस्त किया है, उससे जो राज्य कभी दंगों के लिए कुख्यात था, वह अब सांप्रदायिक दंगों से दूर है। निवेशक की दूसरी जरूरत बुनियादी ढांचा की बेहतरी होती है जिसमें सड़क, बिजली और पानी की उपलब्धता सहज होनी चाहिए। हालांकि ढांचागत सुविधाओं को बुनियादी स्तर पर सहज बनाने में स्थानीय प्रशासन और राजनीति समेत भ्रष्टाचार बाधक जरूर हैं, लेकिन इसके बावजूद राज्य का बुनियादी ढांचा बेहतर हुआ है। इसी वजह से राज्य सरकार का दावा है कि चौथे ग्राउंड-ब्रेकिंग समारोह में जुटने वाले उद्योगपति राज्य में बड़ा निवेश करने वाले हैं।
राज्य में हीरानंदानी समूह के साथ सिफी टेक्नॉलजी, वीएएलएस डवलपर्स, एसटीटी ग्लोबल और जैक्सन लि. डेटा सेंटर स्थापित करने जा रहे हैं। वाहन निर्माता कंपनियां अशोक लीलैंड और यामाहा प्रदेश में कई जगह अपने निर्माण केंद्र शुरू करने की तैयारी में हैं। बिजली व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए राज्य सरकार ने ऊर्जा के तीनों स्रेतों-थर्मल, जल विद्युत और सौर ऊर्जा-में निजी और सार्वजनिक, दोनों क्षेत्रों की कंपनियों को आमंत्रित किया है। राज्य सरकार का दावा है कि एनटीपीसी, ग्रीनको ग्रुप, टोरेंट पावर, एसीएमई ग्रुप, जेएसडब्ल्यू एनर्जी, पीएसपी सिक्स और टिस्को राज्य में कई तरह की ऊर्जा परियोजनाएं लगाने जा रही हैं। एमथ्रीएम इंडिया, आईएनजीकेए, द हाउस ऑफ अभिनंदन लोढ़ा और गोदरेज प्रॉपर्टीज राज्य के आवासीय परिदृश्य को बदलने की तैयारी में हैं तो हथियार निर्माण उद्योग, सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री, हॉस्पिटैलिटी आदि में भी भारी निवेश आ रहा है।
योगी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में 2018 में पहली बार यूपी इंवेस्टर्स समिट का आयोजन किया था जिसमें करीब 4.28 लाख करोड़ के निवेश पर हस्ताक्षर हुए थे। इसके बाद जुलाई, 2018 और जुलाई, 2019 में ग्राउंड- ब्रेकिंग कार्यक्रम आयोजित किए गए जिनसे करीब 130 करोड़ के निवेश प्रस्ताव आए जिनके जरिए 290 परियोजनाएं राज्य में स्थापित हो चुकी हैं। कोरोना के चलते अगले दो साल कोई निवेशक सम्मेलन नहीं हुआ लेकिन 2022 में तीसरा ग्राउंड-ब्रेकिंग समारोह हुआ जिसमें करीब अस्सी हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले। इसकी वजह से सकल घरेलू उत्पाद के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला राज्य बन गया।
इंवेस्टिंग और स्टॉक मार्केट पर नजर रखने वाले एसओआइसी डॉट इन और क्रेडिट लियोनिस सिक्योरिटीज एशिया की रिपोर्ट के अनुसार भारत की जीडीपी में हिस्सेदारी के मामले में उत्तर प्रदेश का स्थान महाराष्ट्र के बाद दूसरे नंबर पर है। यहां याद करना चाहिए कि देश की जीडीपी में 15.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ महाराष्ट्र पहले पायदान पर है, वहीं 9.2 प्रतिशत भागीदारी के साथ यूपी दूसरे स्थान पर है। जहां तक जीएसटी संग्रह की बात है तो 2022-23 में राज्य ने एक लाख सात हजार 407 करोड़ रु पये का राजस्व हासिल किया, जिसके 2023-24 में बढ़कर डेढ़ लाख करोड़ होने का अनुमान है। उत्तर प्रदेश की कारोबारी स्थिति को बताने में राज्य के जीएसटी पंजीकृत व्यापारियों की संख्या मुफीद हो सकती है, जो देश में सबसे ज्यादा है। डिजिटल लेन-देन के मामले में राज्य भी तेजी से प्रगति कर रहा है। बैंकर्स समिति के मुताबिक प्रदेश में पिछले साल जहां 426.68 करोड़ डिजिटल लेन-देन हुआ जो इस साल बढ़कर 1174.32 करोड़ हो गया है।
जाहिर है कि राज्य की आर्थिक स्थिति बेहतर हो रही है, इंटरनेट की उपलब्धता सहज हुई है और इसका फायदा जागरूक नागरिक उठा रहा है। राज्य के राजकोषीय घाटे में कमी आई है। यह जीएसडीपी का 2.86 प्रतिशत ही है। राज्य की बढ़ती आर्थिक स्थिति का उदाहरण राज्य में दाखिल होने वाले आयकर रिटर्न की संख्या भी है। आयकर रिटर्न के मामले में यूपी देश का दूसरा राज्य है। 2014 में उत्तर प्रदेश में 1.65 लाख आयकर रिटर्न ही दाखिल हुए थे, वहीं 2023 में बढ़कर 11.92 लाख हो गए। राज्य में डीमैट खातों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है। 2023 में राज्य में 1.26 लाख डीमैट खाते खुले। राज्य सरकार को केंद्र सरकार की ओर से भी सबसे ज्यादा मदद मिल रही है।
इसका भी फायदा राज्य के आर्थिक विकास में मददगार बना है। प्रदेश में युवाओं को मुहैया कराए जा रहे रोजगार के आंकड़े भी उत्साहित करते हैं। एमएसएमई सेक्टर में मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 1,79,112, एक जनपद, एक उत्पाद से 1,92,193, विकर्मा श्रम सम्मान योजना तथा एक जनपद एक उत्पाद कौशल उन्नयन एवं टूलकिट योजना से लगभग 4.08 लाख रोजगार मुहैया कराए गए। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अंतर्गत 12.15 लाख युवाओं को प्रशिक्षित कर इनमें से 4.13 लाख युवाओं को विभिन्न प्रतिष्ठित कंपनियों में सेवायोजित कराया गया। मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के तहत भी हजारों युवाओं की जिंदगी खुशहाल बनी।
दरअसल, भाजपा के पितृ पुरुष दीनदयाल उपाध्याय ने अंतिम व्यक्ति के आंसू पोंछने और उसका दुख-दर्द दूर करने के लिए अंत्योदय की परिकल्पना प्रस्तुत की थी। संयोग ही है कि दीनदयाल उपाध्याय उत्तर प्रदेश की ही माटी के पूत थे। आर्थिक मोर्चे पर जिस तरह राज्य सरकार काम कर रही है, उससे साफ है कि वह अपने पितृ पुरुष की परिकल्पना को उनकी ही माटी पर शिद्दत से साकार करने की कोशिश कर रही है।
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