सौर ऊर्जा : स्वच्छ पर्यावरण की उम्मीदें

Last Updated 15 Feb 2024 01:28:15 PM IST

विश्व में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से बढ़ रही गर्मी और आर्थिक गतिविधियों में आई तेजी के कारण ऊर्जा की खपत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है जिसके लिए दुनिया के लोग जीवाश्म ईधन (पेट्रोल-डीजल) का 80 फीसद उपयोग कर रहे हैं, जो जलवायु संकट (Climate Crisis) पैदा करने के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार है।


सौर ऊर्जा : स्वच्छ पर्यावरण की उम्मीदें

इसकी खपत कम करने के लिए दुनिया के लोग प्रति वर्ष जलवायु सम्मेलन में चिंता व्यक्त करते हैं।  

पिछले दिनों दुबई में 28वें जलवायु सम्मेलन में महसूस किया गया था कि नवीकरणीय ऊर्जा (सौर, पवन, बायोमास, भू-तापीय) के पर्याप्त स्रोत जब तक उपलब्ध नहीं होते तब तक जीवाश्म ईधन पर बंदिशें लगाना संभव नहीं है। ऊर्जा के इन स्थायी स्रोतों को उपयोग में लाने के लिए इसलिए भी कदम धीमे पड़े हैं कि इससे स्वच्छ ऊर्जा प्राप्त करने के लिए 4.5 अरब डॉलर की आवश्यकता है, जिसको विकसित देश विकासशील देशों को पूरी तरह देने के लिए राजी नहीं हैं।

भारत में ही जीवाश्म ईधन से 75.5 फीसद, परमाणु शक्तिसे 2.8, सौर ऊर्जा से 4.2, पवन ऊर्जा से 4.6, पनबिजली से 10.7, बायोमास 0.5 फीसद  ऊर्जा का इस्तेमाल हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी 2070 तक ही शून्य कार्बन उत्सर्जन की लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रतिबद्धता जता रहे हैं। जून, 2023 के अंत तक के आंकड़े बताते हैं कि भारत एशिया में तीसरे और दुनिया में पांचवें स्थान पर अक्षय ऊर्जा का उत्पादन कर रहा है।

देश में 2030 तक 280 गीगावॉट सौर ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा गया  है। वित्तीय वर्ष 2024 के बजट में सौर ऊर्जा क्षेत्र को आईबीईएफ द्वारा पांचवें सबसे आकषर्क वैश्विक सौर ऊर्जा क्षेत्र के रूप में मान्यता दी गई है। हिमालय क्षेत्र में भी सौर ऊर्जा का विकास ऊर्जा प्रदेश के सपने को साकार कर सकता है। गौरतलब है कि विभिन्न मीडिया माध्यमों से केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा सौर संयंत्र लगाने के लिए मदद देने की सूचनाएं आ रही हैं। बैंकों से कहा जा रहा है कि व्यक्तिगत स्तर पर यदि कोई 200 किलोवॉट सोलर संयंत्र लगाना चाहता है तो उसे 50 फीसद से अधिक सब्सिडी पर कर्ज मिल सकता है। इस तरह के सोलर संयंत्र लगाने पर एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च आता है।

यदि संयंत्र लग गया तो प्रति वर्ष एक लाख रुपये की आय मिल सकती है और बिजली का बिल भी शून्य हो जाएगा। यदि कोई अपने घर में सोलर सिस्टम लगाना चाह रहा है, तो ‘ओजस’ सबसे तेज और विसनीय विकल्प बताया जा रहा है। इनके द्वारा स्थापित किए जा रहे संयंत्र से 25 वर्षो तक मुफ्त बिजली मिल सकती है।

‘आर्नेट सोलर’ का अनुभव भी पिछले 8 वर्षो का है, जो सोलर पैनल को घर की छत के रूप में बना सकते हैं। इससे दोहरा लाभ है जिससे छत तो मिलेगी साथ ही बिजली भी मुफ्त मिल सकती है। यदि कोई नया घर बना रहा है तो अपनी पूरी छत को भी सोलर पैनल की बना सकता है। पहाड़ी इलाकों, जहां लोगों ने जंगली जानवरों के आतंक के कारण अपनी खेतीबाड़ी बंजर छोड़ रखी है, में यदि सोलर पैनल लगाए जाते हैं तो वहां के गरीब, सीमांत एवं छोटे किसानों के लिए यह रोजगार का सबसे बड़ा साधन बन सकता है।

लेकिन इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि बैंकों के भरोसे इच्छुक लोगों तक सौर संयंत्र स्थापित करना मुश्किल होगा। अच्छा हो कि सरकार अपनी योजनाओं में उसे स्थान दें। क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, ग्राम पंचायत के माध्यम से भी सौर ऊर्जा का विकास किया जा सकता है। सोशल मीडिया पर कंपनियां सोलर पैनल लगाने के आासन दे रही हैं, जिनसे ऑनलाइन संपर्क करके मदद ली जा सकती है।

राजस्थान समेत अन्य राज्यों, जहां सूर्य की किरणों अथाह गर्मी पैदा कर रही हैं, में स्थापित सोलर संयंत्र से पर्याप्त ऊर्जा पैदा हो रही है। पर्वतीय क्षेत्रों में भी ऐसे बहुत से इलाके हैं जहां हर समय धूप खिली रहती है और आबादी इसलिए निर्जन हो रही है कि गांव में पर्याप्त बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं नहीं हैं। ये सुविधाएं विद्युत आपूर्ति के बिना अधूरी रह जाती हैं। इन स्थानों में सुविधाओं के लिहाज से भी सौर ऊर्जा विकास की नई रोशनी ला सकती है।

दुनिया में स्वच्छ ऊर्जा के रूप में हाइड्रो पावर को अपेक्षित पहचान नहीं मिल पा रही है क्योंकि नदियों में लगातार जल की मात्रा घट रही है। बरसात में बाढ़ से नदियों के तट बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। नदियों के बहाव को रोकने वाली जल विद्युत परियोजनाएं भी हर साल बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त हो रही हैं।

बाढ़ में बहने के बाद उन्हें दोबारा पूर्व स्थिति में नहीं लाया जा सकता। इसलिए सबसे बड़ा ऊर्जा विकल्प सौर ऊर्जा है। यह इसलिए भी देखा जा रहा है कि सूर्य की किरण हर जगह उपलब्ध हैं। अनेक स्थान हैं जहां सुबह से अंधेरा ढलने तक सूर्य का प्रकाश धरती को रोशन करता है। सूर्य की रोशनी को सौर ऊर्जा के रूप में उपयोग करना समय की मांग है।

सुरेश भाई


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